भारत-चीन सीमा पर तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। सोमवार रात गलवान घाटी पर भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच झड़प हुई। इस झड़प में भारतीय सेना ने 20 जवान शहीद हो गए। जिसके बाद अब दोनों देशों के बीच तनाव और ज्यादा बढ़ गया। इस झड़प के बाद अब बुधवार को भारतीय सेना को हाई अलर्ट पर कर दिया है। दरअसल सोमवार हुई झड़प के बाद चीन के साथ लगी करीब 3,500 किलोमीटर की सीमा पर भारतीय थल सेना और वायु सेना के अग्रिम मोर्चा पर स्थित ठिकानों को बुधवार को हाई अलर्ट पर कर दिया है ताकि चीन की हर चाल का जवाब दिया जा सके।
चीन पर पैनी नजर
सूत्रों के मुताबिक, रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ भी मौजूद थे। इस बैठक में ही थल सेना और वायुसेना सेना को अलर्ट पर रखने का फैसला लिया गया। तो वहीं भारतीय नौसेना को भी हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सतर्कता को बढ़ाने का आदेश दिया गया। यहां से नौसेना चीनी नौसेना की नियमित गतिविधियों पर आराम से नजर रख सकती है। इसके अलावा सेना के जवानों को टुकड़ियों में अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अग्रिम मोर्चे पर भेज दिया गया है।
पीएम मोदी ने दी चीन को चेतावनी
बता दें कि बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चीन को एक कड़ा संदेश दिया था। पीएम मोदी ने कहा कि भारत हमेशा से ही शांति चाहता है लेकिन अगर उकसाया गया तो भारत माकूल जवाब देने में सक्षम है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। हमने हमेशा ही प्रयास किया है कि मतभेद और विवाद न बनें। हम किसी को भी उकसाते नहीं है लेकिन हम अपने देश की अखंडता और संप्रभुता के साथ समझौता नहीं करते है। जब भी समय आया है तो हमने अपने देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान रक्षा मंत्री ने पीएम मोदी को एलएसी के पास सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।