देश में कृषि बिलों को लेकर चल रहे आक्रोश के बीच केन्द्र सरकार द्वारा आज गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया जिससे एमएसपी पर 50 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि या 2.6 प्रतिशत की वृद्धि कहा जा सकता है। केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर के अनुसार इससे लागत मूल्य पर किसानों को 106 प्रतिशत का मुनाफा होगा। कैबिनेट की मीटिंग में यह फैसला लिया गया। इसके साथ ही जौ पर 75 रुपए, सरसों पर 225 रुपये, चना पर 225 रूपये, कुसुंभ पर 112 रूपये, मसूर पर सबसे अधिक 300 रूपये एमएसपी बढ़ाया गया है।
कृषि मंत्री ने कहा, ‘वर्ष 2013-2014 में गेहूं की MSP 1400 रुपये थी, जो 2020-2021 में बढ़कर 1975 रुपये हो गई। यानि एमएसपी में 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2013-2014 में धान की MSP 1310 रुपये थी, जो 2020-2021 में बढ़कर 1868 रुपये हो गई। 2013-2014 में मसूर की MSP 2950 रुपये थी, जो 2020-21 में बढ़कर 5100 रुपये हो गई। 2013-2014 में उड़द की MSP 4300 रुपये थी, जो 2020-21 में बढ़कर 6000 रुपये हो गई।’
MSP क्या है?
MSP वह गारंटेड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हों। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।
अभी चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार खेती-किसानी के क्षेत्र में सुधार के लिए तीन विधेयक लाई है। विपक्ष इन विधेयकों के खिलाफ है। उसे चिंता है कि कहीं MSP की व्यवस्था बंद नहीं हो जाए। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर साफ कर चुके हैं कि MSP खत्म नहीं होगा। मोदी ने आज भी कहा कि जिन लोगों को कंट्रोल अपने हाथ से निकलता नजर आ रहा है, वे किसानों को गुमराह कर रहे हैं।