तालिबान की ओर से चीन को लेकर एक और अहम बयान सामने आया है। समूह के प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि चीन ने अपने दूतावास को अफगानिस्तान में जारी रखने का फैसला लिया है। साथ ही यह युद्ध ग्रस्त देश को दी जाने वाली मानवीय सहायता वालेे अपने फंड को और बढ़ाएगा। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन (Suhail Shaheen) ने ट्वीट कर बताया, ‘ कतर की राजधानी दोहा में इस्लामिक समूह के सदस्य अब्दुल सलाम हनफी (Abdul Salam Hanafi) ने चीन के उपविदेश मंत्री वु जियांगघओ (Wu Jianghao) से फोन पर बात की।’
प्रवक्ता ने ट्वीट में यह भी बताया कि चीनी उप विदेश मंत्री ने कहा है कि काबुल में वे अपने दूतावास को जारी रखेंगे और तालिबान के साथ संबंधों को और मजबूत बनाएंगे। महामारी कोविड-19 को देखते हुए अफगानिस्तान में चीन की ओर से मिल रही मदद को और बढ़ाए जाने की भी बात कही है। बता दें कि अफगानिस्तान पर पूरी तरह काबिज हो चुके तालिबान ने कहा है कि वो फंड के लिए चीन पर निर्भर है, क्योंकि चीन ही उनके लिए सबसे भरोसेमंद सहयोगी है। कुछ दिन पहले ही तालिबान में नंबर दो माने जाने वाले मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने बीजिंग का दौरा किया था और वहां के विदेश मंत्री से बात की थी। अफगानिस्तान में 3 ट्रिलियन डॉलर (करीब 200 लाख करोड़ रुपए) की खनिज संपदा है, जिस पर दुनिया की फैक्ट्री के तौर पर स्थापित हो चुके चीन की नजर है।
बता दें कि तालिबान ने चीन को भरोसा दिला चुका है कि वो उईगर मुस्लिमों के कट्टरपंथी तत्वों पर नकेल कसकर रखेगा। अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल चीन के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, तालिबान ने भारत समेत पूरी दुनिया को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल किसी मुल्क के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा।