कर्नाटक शिक्षा विभाग (Karnataka Education Department) के द्वारा इस महीने राज्य के सभी मदरसों का सर्वेक्षण (madrasas survey) करने की संभावना है। इस मामले से परिचित एक अधिकारी ने बताया कि सर्वे यह सत्यापित करने के लिए कराया जाएगा कि इन संस्थानों में जाने वाले बच्चे शिक्षा के अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी तरह का एक आदेश दिया था।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Chief Minister Basavaraj Bommai) के नेतृत्व वाली सरकार ने शिक्षा विभाग को राज्य के सभी 960 मदरसों में गतिविधियों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। अधिकारियों में से एक ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “सर्वेक्षण करने के लिए शिक्षा विभाग के आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।” कमेटी अक्टूबर में ही सर्वे का काम शुरू कर देगी। उन्होंने कहा, “रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। जैसे ही निरीक्षण पूरा होगा हम इसे जमा कर देंगे।”
अधिकारियों के अनुसार, शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने 23 अगस्त इसको लेकर एक दिशा-निर्देश जारी किया था। मदरसों में जाने वाले छात्रों को प्रदान की जाने वाली औपचारिक शिक्षा के संबंध में विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था। सर्वे के दौरान मदरसों में जाने वाले बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा मिल रही है या नहीं इसकी जांच की जाएगी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि नियम के अनुसार मदरसों में धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्रों को विज्ञान और गणित की शिक्षा प्राप्त करने के लिए पास के स्कूलों में जाना होगा। ऐसे छात्रों के संबंध में कोई स्पष्ट और सटीक जानकारी नहीं है। उन्होंने अपने कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा, “मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मदरसों में शिक्षा के तरीके के बारे में जानने की जरूरत है।”
मंत्री ने कहा, “अधिकारियों को मदरसों का दौरा करने के लिए कहा गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि सहायता प्राप्त, गैर सहायता प्राप्त और निजी मदरसों में दी जा रही शिक्षा शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार है या नहीं। यदि नहीं है तो वहां छात्रों को किस तरह की शिक्षा प्रदान की जा रही है।”
मंत्री ने कहा, “जमीनी स्थिति की जानकारी मिलने के बाद शिक्षा विशेषज्ञों और मदरसों को चलाने वालों के साथ बैठक की जाएगी।” उन्होंने कहा, ‘सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत औपचारिक शिक्षा मुहैया कराए और इसे पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर सरकार की मंशा है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।”