ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को हुई घातक ट्रेन दुर्घटना में मारे गए लोगों में से अब तक 151 शवों की शिनाख्त हो चुकी है. जरूरी प्रकियाओं को पूरा करने के बाद सभी शवों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए उन्हें दूसरी गाड़ियों में भेजा जा रहा है. शवों को उनकी मंजिल तक ले जाने के लिए ओडिशा सरकार की तरफ से निःशुल्क परिवहन की व्यवस्था की गई है.
मुख्य सचिव पी. के. जेना ने कहा कि राज्य सरकार सभी शवों की पहचान करना चाहती है ताकि उनका अंतिम संस्कार उनके परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाए. जेना ने कहा, ‘भीषण गर्मी के कारण शव तेजी से क्षत-विक्षत हो रहे हैं. अत: कानून के अनुसार राज्य अंतिम संस्कार के लिए अधिकतम दो और दिन का इंतजार कर सकता है.’
ओडिशा के बालासोर जिले में 2 जून की रात शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट और एक मालगाड़ी से जुड़े रेल हादसे को देश के सबसे भीषण रेल दुर्घटनाओं में से एक के तौर पर देखा जा रहा है. गए. हादसे में 275 यात्रियों की मौत हुई है, जबकि 1,175 जख्मी हैं. घायलों का उपचार सोरो, बालासोर, भद्रक और कटक के विभिन्न अस्पतालों में हो रहा है.
जेना ने कहा कि शवों की पहचान सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा, ‘डीएनए नमूना लिया जाएगा और मृतक की तस्वीरें सरकारी वेबसाइट पर अपलोड की जाएंगी.’ जेना ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की नौ टीम, ओडिशा आपदा त्वरित प्रतिक्रिया बल (ODRAF) की पांच इकाइयां और दमकल सेवा की 24 टीम बचाव अभियान में लगी थीं. उन्होंने कहा कि अस्पताल में रात के समय सर्जरी के लिए व्यवस्था की गई है और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ 100 से अधिक मेडिकल टीम को तैनात किया गया है.
हादसे के वक्त दोनों यात्री ट्रेन में करीब 2500 यात्री सवार थे. दुर्घटना में 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए. रेलवे ने ओडिशा ट्रेन हादसे में चालक की गलती और प्रणाली की खराबी की संभावना से इनकार किया तथा संभावित ‘तोड़फोड़’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ प्रणाली से छेड़छाड़ का संकेत दिया. दोनों यात्री रेलगाड़ियां तीव्र गति से चल रही थीं और विशेषज्ञों ने इसे हताहतों की अधिक संख्या के मुख्य कारणों में से एक बताया है.