सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से एक तस्वीर काफी वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर अयोध्या की है। दावे के अनुसार तस्वीर में नजर आ रहा मंदिर 5000 साल पुराना है और इसे हाल में अयोध्या में एक सड़क को चौड़ा किए जाने दौरान खोजा गया है।
शेयर की जा रही इस तस्वीर के कैप्शन में लिखा है, ‘बताया जा रहा है कि ये करीब 5000 साल पुराना मंदिर है और इसे ‘अयोध्या- राम जन्मभूमि’ में सड़क चौड़ीकरण के दौरान खोजा गया।स्थानीय लोगों ने इस सुंदर मंदिर के ऊपर घर बना लिए थे जिससे ये ढक गया था। सूत्र बताते हैं कि आने वाले समय में ऐसे ही कई और मंदिर मिल सकते हैं। #JaiSriRam अच्छी खबर: मंदिर के मरम्मत का काम शुरू हो गया है।’
अयोध्या: सोशल मीडिया पर फैली ये जानकारी गलत है
सोशल मीडिया पर भले ही इस तस्वीर को लेकर कुछ दावे किए जा रहे हैं लेकिन हम आपको बता दें कि फैलाई जा रही सूचना पूरी तरह गलत और भ्रामक है। दरअसल, तस्वीर अयोध्या की नहीं बल्कि यूपी के वाराणसी की है।
ये फोटो चंद्रगुप्त महादेव मंदिर की है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत इस मंदिर की मरम्मत की गई है। उसी काम के तस्वीर को अब अयोध्या का बता कर गलत सूचना फैलाई जा रही है। सोशल मीडिया पर चंद्रगुप्त महादेव मंदिर को अयोध्या का बताने संबंधी गलत सूचना पिछले कई महीनों से जारी है।
रिवर्स इमेज सर्च की मदद से आसानी से ये पता लगाया जा सकता है कि तस्वीर पुरानी है और काशी विश्वनाथ कोरिडोर प्रोजेक्ट से संबंधित खबरों के छपने के दौरान इसका कई मीडिया हाउस ने इस्तेमाल भी पूर्व में किया है।
300 साल पुराना है चंद्रगुप्त महादेव मंदिर
वाराणीस का चंद्रगुप्त महादेव मंदिर दरअसल काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब ही है। ये वाराणसी में मौजूद चुनिंदा कुछ बेहद पुराने मंदिरों में से एक है। जानकारों के अनुसार ये मंदिर 300 साल से ज्यादा पुराना नहीं हो सकता है।
वैसे ये भी बता दें कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत काम के दौरान वाराणसी में कुछ पुराने मंदिरों का भी पता चला। इस प्रोजेक्ट में करीब 30 बड़े मंदिरों के मरम्मत का काम किया जाना है। इसी में चंद्रगुप्त महादेव मंदिर भी शामिल है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च, 2019 को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। इसके तहत वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के इलाके के सौंदर्यकरण की योजना है।