Breaking News

अब घोड़ों की इस चीज से बनेगी कोरोना की एक नयी दवा, जानें बाजार में कब तक आएगी

महाराष्ट्र के कोल्हापुर की बायोसाइंसेज कंपनी घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई कोरोनावायरस की एक नई दवा का परीक्षण कर रही है। अगर यह दवा सभी परीक्षणों में सफल होती है, तो यह कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी। यह इस तरह की भारत की पहली स्वदेशी दवा होगी, जिसका इस्तेमाल संक्रमण के इलाज के लिए किया जाएगा।

कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती परीक्षणों में दवा की वजह से 72 से 90 घंटों के अंदर ही संक्रमितों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव हो जा रही है। दवा का फिलहाल ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण चल रहा है, जिसके इस महीने के अंत तक पूरा होने की संभावना है।

कोविड एंटीबॉडीज के कॉकटेल से इलाज का दावा

आईसेरा बॉयोलॉजिकल सिर्फ चार साल पुरानी कंपनी है और अभी तक एंटीसीरम प्रोडक्ट यानी सांप काटने, कुत्ते के काटने और डिप्थीरिया के इलाज में कारगर दवाएं बनाती है। हालांकि, कंपनी को इस काम में सीरम इंडिया ऑफ इंडिया की ओर भी मदद मिलती रही है। इस बीच कंपनी ने कोविड एंटीबॉडीज का एक कारगर कॉकटेल तैयार किया है। कंपनी का दावा है कि इसके इस्तेमाल से कोविड के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण के फैलाव को रोका जा सकता है और शरीर में मौजूद वायरस को खत्म भी किया जा सकता है।

ह्यूमन ट्रायल के नतीजों का इंतजार

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर एनके गांगुली ने कहा कि अभी तक तो यह दवा काफी हद तक उम्मीद जगाती है, लेकिन हमें ह्यूमन ट्रायल के नतीजों का इंतजार करना चाहिए। अगर दवा सभी मानकों पर सही साबित हुई, तो यह भारत जैसे देश में कोरोना के खिलाफ जारी जंग में काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। मुझे लगता है कि बाजार में उपलब्ध इंटरनेशनल उत्पादों के मुकाबले यह दवा सस्ती भी होगी। अगर सबकुछ सही रहा तो इस साल के अंत तक दवा बाजार में आ सकती है.