श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labour & Employment) सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) के तहत विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लाभ, सेवाएं या भुगतान प्राप्त करने के लिए पंजीकरण को लेकर कर्मचारियों और असंगठित क्षेत्रों के कामगारों जैसे लोगों से 12 अंकों वाली विशिष्ट पहचान संख्या यानी आधार (Aadhaar) की मांग कर सकेगा. हालांकि मंत्रालय के दायरे में आने वाली विभिन्न सोशल सिक्योरिटी स्कीम्स के तहत सेवाओं की आपूर्ति के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा. क्योंकि सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 को अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है.
कोड के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन उसे अभी अधिसूचित नहीं किया गया है. मंत्रालय को मिले इस अधिकार का मकसद मुख्य रूप से प्रवासी मजदूर समेत असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के आंकड़ा तैयार करने को सुगम बनाना है.
श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा, अब हम सोशल सिक्योरिटी कोड के तहत लाभार्थियों से आधार नंबर मांगना शुरू करेंगे. यह प्रवासी मजदूर समेत असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए हमारे डाटाबेस के लिए जरूरी है. हालांकि आधार उपलब्ध नहीं कराने पर विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की डिलिवरी में कोई कमी नहीं होगी.
3 मई को जारी हुई थी अधिसूचना
इस संदर्भ में 3 मई को मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की. इसके तहत श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और उसके अतंर्गत आने वाले निकाय विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत अपने डाटाबेस के लिए लाभार्थियों के आधार का विवरण प्राप्त करने में सक्षम होगा.
कोड को पिछले साल संसद ने पारित किया था. अधिसूचना के अनुसार आधार की प्रासंगिकता को कवर करने वाली सोशल सिक्योरिटी कोड-2020 की धारा 144 को अधिसूचित कर दिया है. यह प्रावधान 3 मई, 2021 से अमल में आ गया है.
आधार के जरिए कर्मचारियों की पहचान की जाएगी
इस धारा के तहत कोड के अंतर्गत लाभ और सेवाएं लेने के लिए आधार के जरिए कर्मचारियों की पहचान की व्यवस्था की गयी है. केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने बयान में कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत इस धारा को प्रवासी मजदूरों सहित अन्य श्रमिकों के डाटाबेस को एकत्रित करने के लिए अधिसूचित किया गया है. Aadhaar के अभाव में किसी भी मजदूर को सरकारी लाभ से वंचित नहीं रखा जाएगा.