बिहार के बेगुसराय निवासी लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार 30 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर में शहीद हो गए. ऋषि कुमार लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के करीब राजौरी के नौशेरा सुंदरवन सेक्टर में गश्त के दौरान हुए विस्फोट में शहीद हो गए थे. ऋषि कुमार की शहादत की खबर जैसे ही बेगुसराय पहुंची, गांव ही नहीं पूरे जिले में अपने वीर सपूत के निधन से मातम पसर गया. जानकारी के मुताबिक शहीद लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार के घर शादी थी. ऋषि के घर से उनकी बहन की डोली उठनी थी. शादी के लिए 29 नवंबर की तारीख तय थी. तैयारियां जोरों पर चल रही थीं. ऋषि को भी 22 नवंबर को आना था. बहन की शादी के लिए जिन ऋषि कुमार को 22 नवंबर के दिन आना था वे पहले ही आ गए लेकिन तिरंगे में लिपटकर हमेशा के लिए छोड़ जाने के लिए.
बताया जाता है कि लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार के शहीद हो जाने की सूचना कंपनी कमांडर ने देर शाम 7.30 बजे ऋषि कुमार के पिता को फोन कर दी. लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार अपने घर के इकलौते चिराग थे. उनकी दो बहनें हैं. छोटी बहन की शादी 29 नवंबर को होने वाली थी. अभी चार दिन पहले ही ऋषि ने मां से बात कर शादी की तैयारियों को लेकर चर्चा की थी. ऋषि कुमार बेगूसराय जिला मुख्यालय के प्रोफेसर कॉलोनी निवासी राजीव रंजन के पुत्र थे. एक साल पहले ही ऋषि ने सेना जॉइन की थी.
वे मूल रूप से लखीसराय जिले के पिपरिया गांव के निवासी थे. कई दशक पहले से ही राजीव रंजन का परिवार जीडी कॉलेज के समीप पिपरा रोड में घर बना कर रह रहा था. ऋषि के दादाजी रिफाइनरी में कार्यरत थे. इसके बाद ये परिवार यहीं बस गया. शहीद लेफ्टिनेंट का पार्थिव शरीर आज यानी 31 अक्टूबर को दोपहर तक बेगूसराय पहुंचने की संभावना है. देश की सरहद की निगहबानी करते हुए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले ऋषि कुमार को स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है.