समाजवादी पार्टी के बड़बोले नेता अबू आजमी के मुजफ्फरनगर दंगे पर दिए गए विवादित बयान से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम यूपी में ताना बाना बुन रही समाजवादी पार्टी आजमी के बयान से मुश्किल में है। जाट समुदाय के प्रति अबू आजमी के अपमानजनक बयान से जाट गुस्से में हैं। सपा और उसके नेताओं की बदजुबानी से जाट लैंड में दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया है।
एक निजी चैनल पर जाटों को अपमानित करने वाले आजमी के बयान से खास तौर से युवाओं में नाराजगी है। इसको लेकर स्थानीय स्तर पर विरोध की रणनीति तैयार की जा रही है। जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनेताओं ने भी इस पर घोर आपत्ति दर्ज कराई है।
योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि अबू आजमी जैसे छिछले और दो कौड़ी के लोगों की हैसियत जाटों का नाम लेने की भी नहीं है। टीवी चैनल पर यह बयान देना कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट समाज के लोगों ने मौलाना के पैर पकड़कर माफी मांगी, पूरे जाट समाज का न सिर्फ घोर अपमान है, बल्कि एक सोची समझी साजिश के तहत जाट समुदाय को नीचा दिखाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि जाट हमेशा अपने साहस,परिश्रम और स्वाभिमान के लिए जाना जाता है। अपमान करने वालों को जाट समुदाय कभी नहीं भूलता। सपा और उसके सहयोगी लगातार जाटों को बांट कर उन्हें कमजोर और अपमानित करने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन जाट समुदाय इसका जवाब उन्हें जरूर देगा।
सुरेश राणा ने कहा कि समाजवादी पार्टी कभी जाटों के साथ खड़ी नहीं रही है। मुजफ्फरनगर दंगा इसका उदाहरण है। दंगा के दौरान घर जाते निहत्थे लोगों पर हमले किए गए। सपा सरकार के इशारे पर निर्दोष लोगों को जेल भेजने का काम किया गया। इस अपमान व वहशीपन की घटना को जाट समुदाय अब तक भूल नहीं पाया है। जाट समुदाय के जख्म अभी भी भरे नहीं हैं। दंगों में पहले निर्दोषों को जेल भेजा गया और अब समाजवादी पार्टी अपने वर्ग विशेष के नेताओं के जरिये जाट समुदाय पर जुबानी हमले करवा रही है। अबू आजमी जैसे देश विरोधी जाटों के संस्कार को माफी का नाम देकर उनको गुनाहगार साबित कर रहे हैं जबकि मुजफ्फरनगर दंगे में जाट समुदाय को सबसे अधिक नुकसान हुआ। दंगे में दर्जनों हिन्दुओं को अपनी जान गंवाना पड़ी थी।