यूपी बोर्ड के कोर्स में बदलाव के लिए विचार विमर्श चल रहा है. एससीईआरटी के सह निदेशक अजय कुमार सिंह का कहना है कि कोरोना काल के चलते दो सालों से कोर्स में कोई भी फेरबदल नहीं किया गया था. इस बार नए सत्र की शुरूआत हो चुकी है, इस कारण इस बार किताबों में कोई नया बदलाव नहीं होगा. दिसंबर तक नए कोर्स का काम फाइनल हो जाएगा. जो भी बदलाव होंगे वह नए सत्र से ही संभव हो सकेंगे. उन्होंने बताया कि यूपी बोर्ड की सभी कक्षाओं के कोर्स में साल 2018 से कोई बदलाव नहीं किया गया है. आने वाले समय में कोर्स में कुछ बदलाव होंगे. 2006 से कोर्स में लगातार बदलाव हो रहे हैं. अजय कुमार सिंह का कहना है कि अभी विचार-विमर्श चल रहा है. यह सब काम होते-होते 6 माह से एक साल लग जाएंगे.उन्होंने बताया कि इतिहास विषय में कोई भी बदलाव नहीं होता है.
अगर कोई कमी होती है तो उसे जरूर दूर कर लिया जाता है. पुराने पाठ्यक्रमों को किताब से हटाया नहीं जाता है क्योंकि इतिहास एक ऐसा विषय है जिसमें बहुत ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं होती, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है वह नहीं बदला जा सकता.उन्होंने बताया कि बदलाव के दौरान 60-70 फीसदी कोर्स पुराना रहता है, 30 से 40 फीसदी ही परिवर्तन किया जाता है किसी कोर्स रिन्यू करने में. नया पाठ्यक्रम तैयार करने में लंबा वक्त लगता है. इस बार चूंकि नया सेशन एक अप्रैल से शुरू हो चुका है इसलिए अभी कोई भी बदलाव नहीं किया जा सका है. नए सत्र को लेकर काम किया जा रहा है. इसे लागू करने में लंबा वक्त लगेगा.