यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों और भारतीय लोगों को निकालने के लिए मोदी सरकार ने नई रणनीति बनाई है। भारतीय छात्रों को लाने की व्यवस्था करने के चार मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा जा रहा है। चारो मंत्री यूक्रेन में फंसे भारतीय लोगों से बातचीत और उनको निकालने के प्रबंध कराएंगे। इनको भारत का विशेष दूत बनाकर भेजा जाएगा। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन संकट पर उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस मीटिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर, कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल भी शामिल थे। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरेन रिजिजू और जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह निकासी मिशन के समन्वय और छात्रों की मदद के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जाएंगे।
यूक्रेन में युद्ध के बीच फंसे छात्रों को निकालने के लिए भारत सरकार हवाई रास्ते के अलावा अन्य विकल्पों की भी तैयारी कर रही है। भारत सरकार ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों से बात की है और इस विकल्प पर चर्चा कर रही है कि छात्रों को रेल रूट और सड़क मार्ग से भी यूक्रेन से निकाला जाये। केंद्र ने इसके लिए युद्ध स्तर पर कूटनीति शुरू की है। विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा है कि रेल मार्ग का उपयोग करके हंगरी और स्लोवाकिया की सीमा के पास, उजहोरोड के आसपास के पास फंसे लोगों को निकालने का विकल्प तलाशा जा रहा है। विद्यार्थियों को रेल रूट के जरिए बुडापेस्ट तक लाया जाएगा।
भारत ने यूक्रेन और रूस से शेयर की स्टूडेंट्स की लोकेशन
भारत अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए रूस और यूक्रेन दोनों देशों से लगातार संपर्क में है।श्रृंगला ने कहा कि उन्होंने रूस और यूक्रेन के राजदूतों से अलग-अलग मुलाकात की। उन्हें यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा पर भारत की गहरी चिंता से अवगत कराया है। भारत ने यूक्रेन और रूस के साथ उन स्थानों की जानकारी साझा की है जहां भारतीय छात्र फंसे हैं। दोनों राजदूतों ने भारत चिंताओं पर ध्यान दिया और हमें आश्वासन दिया कि वे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के बारे में फिक्रमंद हैं।
रेड क्रॉस से संपर्क में भारत
भारत ने जिनेवा में रेड क्रॉस यानी आईसीआरसी से भी संपर्क किया है क्योंकि रेड क्रॉस भी यूक्रेन में अपना अभियान शुरू कर रहा है। भारत रेड क्रॉस के साथ भी भारतीय नागरिकों की जानकारी शेयर कर रहा है।
माल्डोवा सीमा पर पहुंच रहे विदेश मंत्रालय के अधिकारी
ज्ञात हो कि यूक्रेन में रूस के हमले के बाद वहां फंसे भारतीय छात्र-छात्राएं यूक्रेन के अलग-अलग बॉर्डर पर जाकर फंस गए हैं। कुछ छात्र-छात्राएं यूक्रेन-मोल्डोवा की सीमा पर भी हैं। इनकी सुरक्षित निकासी के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने माल्डोवा के विदेश मंत्री निकू पोपेस्कु से बात की। भारतीय नागिरकों को निकालने के लिए मदद मांगी। एस जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा है कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का एक दल आज वहां पहुंच रहा है।
भारत सरकार के अनुसार हालांकि हंगरी और रोमानिया के लिए बॉर्डर क्रॉसिंग से लोगों का निकलना जारी है। पोलैंड के एग्जिट प्वाइंट पर एक साथ लाखों लोग पहुंच गए हैं। इस स्थान पर भारत के भी कई नागरिक फंसे हुए हैं। यूक्रेन से निकलने के लिए ये बॉर्डर मुफीद साबित हो रहा है। यहां पहुंचे भारतीय छात्र बाहर निकलने की आस में कई घंटों से यहां डेरा डाले हैं। बता दें कि पोलैंड ने कहा है कि वह भारतीय छात्रों को बिना वीजा के ही अपने देश में प्रवेश की अनुमति दे रहा है। भारत ने स्लोवाक और रोमानिया के जरिए भी सड़क मार्ग से अपने नागरिकों को निकालने की तैयारी कर रहा है।