पीएम मोदी के नेतृत्व में कोरोना संकट को लेकर मंत्री परिषद के साथ बैठक शुरू हो गई है. बैठक में मंत्रियों से ये भी कहा जा सकता है वो अफवाहों पर लगाम लगाने में सहयोग करें इसके लिए अपने मंत्रालय का भी सहारा लें. कुछ मंत्रियों को जिम्मेदारी भी दी जा सकती है. भारत में कोरोना विकराल रूप धारण कर चुका है. अब हर दिन साढ़े तीन लाख से ज्यादा कोरोना मामले सामने आ रहे हैं. टीके की कमी के चलते 1 मई से टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू होना मुश्किल लग रहा है.
देश में कोरोना संक्रमण के प्रसार की गंभीर स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी. इससे पहले मंगलवार को शीर्ष अदालत के तीन न्यायाधीशों की बेंच ने केंद्र से कई मुद्दों पर जवाब मांगा था जिसमें वैक्सीन के दाम का भी मुद्दा शामिल था. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने मामले में सुनवाई की थी. शुक्रवार को होने वाली सुनवाई के दौरान केंद्र ऑक्सीजन, बेड, वैक्सीन के दामों समेत कोविड से जुड़े अन्य मामलों के बारे में जवाब दाखिल कर सकता है.
इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई में कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को ‘राष्ट्रीय संकट’ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह ऐसी स्थिति में मूक दर्शक बना नहीं रह सकता. साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने पर उसकी स्वत: संज्ञान सुनवाई का मतलब हाईकोर्ट्स के मुकदमों को दबाना नहीं है. पीठ ने कहा था कि हाईकोर्ट्स क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नजर रखने के लिए बेहतर स्थिति में है और सुप्रीम कोर्ट पूरक भूमिका निभा रहा है तथा उसके ‘हस्तक्षेप को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए’ क्योंकि कुछ मामले क्षेत्रीय सीमाओं से भी आगे हैं.
देश के कोविड-19 की मौजूदा लहर से जूझने के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर स्थिति का स्वत: संज्ञान लिया था और कहा था कि वह ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं समेत अन्य मुद्दों पर ‘राष्ट्रीय योजना’ चाहता है. शीर्ष अदालत ने वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन को इलाज का ‘आवश्यक हिस्सा’ बताते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि काफी ‘घबराहट’ पैदा कर दी गई है जिसके कारण लोगों ने राहत के लिए अलग अलग हाईकोर्ट्स में याचिकायें दायर कीं.