कोरोनावायरस की वजह से पूरी दुनिया में 12.31 करोड़ से ज्यादा लोग बीमार हुए. 27.14 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. लेकिन कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति की गुत्थी सुलझ ही नहीं रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की टीम लगातार चीन और आसपास के इलाकों में कोरोनावायरस महामारी की उत्पत्ति का पता लगा रही है. अब एक नया खुलासा ये हुआ है कि दक्षिण-पूर्व एशिया और जापान में कोरोना वायरस के जुड़े स्ट्रेन चमगादड़ों और पैंगोलिंस में देखने को मिले हैं.
द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित खबर के मुताबिक हाल ही में हुई चार स्टडीज में इस बात का खुलासा हुआ है कि दक्षिण-पूर्व एशिया और जापान के चमगादड़ों और पैंगोलिंस में काफी भारी मात्रा में कोरोनावायरस की मौजूदगी मिली है. इन दोनों जीवों में कोरोना वायरस का इवोल्यूशन बेहतरीन तरीके से हो रहा है. एक अन्य नई स्टडी के मुताबिक कोरोनावायरस के एक अमीनो एसिड में आया बदलाव ही इसे इंसानों के लिए खतरनाक बनाता है. अमीनो एसिड ऐसा ऑर्गेनिक कंपाउंड होता है जिसकी वजह से प्रोटीन का निर्माण होता है. हालांकि, अब पब्लिक हेल्थ विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब यह पता लगाना बेहद मुश्किल है कि कोरोनावायरस की उत्पत्ति कहां से हुई. दूसरा भविष्य में आने वाली महामारियों से कैसे बचें.
इस सभी अध्ययनों और WHO की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि कोरोनावायरस चमगादड़ों में ही पनपा है. वहीं इवॉल्व हुआ और उसने प्राकृतिक तौर पर इंसानों को संक्रमित किया. हालांकि, इसके बीच किसी एक ऐसे जीव ने माध्यम का किरदार निभाया है, जिसका वास्ता चमगादड़ों और इंसानों दोनों से पड़ता है. इन स्टडीज से इस बात का भी खुलासा होता है कि क्यों WHO की टीम चार हफ्ते तक चीन के वुहान में कोरोना वायरस के जन्म लेने और महामारी बनने के सबूत खोज रही थी. जो खोजबीन फरवरी में खत्म हो चुकी है. अब WHO चीन के साथ अन्य एशियाई देशों का भी नाम ले रहा है ताकि वहां भी कोरोनावायरस की खोज की जा सके. यहां कोरोनावायरस की उत्पत्ति की खोज चल रही है, उधर, दुनिया में अब हाइब्रिड कोरोनावायरस फैल रहा है.
हाइब्रिड कोरोनावायरस दो नए कोरोनावायरस के वैरिएंट्स से मिलकर बना है. ये इंसानों से इंसानों में फैल रहा है. जॉर्जिया के अटलांटा स्थित एमोरी यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट डेव वैनइंसबर्ग ने ये खुलासा किया है. उनका कहना है कि ये कोरोनावायरस का इवोल्यूशनरी बदलाव है. चिंता की बात ये है कि वैज्ञानिकों को ये नहीं पता कि हाइब्रिड कोरोनावायरस किस इंसान को कितना नुकसान पहुंचाएगा. इसपर नए वैक्सीन काम करेंगे कि नहीं, ये भी नहीं पता है.
डेव वैनइंसबर्ग ने कहा कि हमें नहीं पता कि हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) कैसे फैल रहा है. लेकिन दो नए अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है. हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) का पहला खुलासा करीब एक महीने हुआ था. तब यूके और कैलिफोर्निया के वैरिएंट्स आपस में मिलकर नया हाइब्रिड कोरोनावायरस बना चुके थे. यूके का B.1.1.7 और कैलिफोर्निया का B.1.429 वैरिएंट आपस में मिलकर हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) बना रहे हैं. अमेरिका के लॉस एजेंल्स में हाइब्रिड कोरोनावायरस की ही लहर चल रही है.
इसमें कुछ ऐसे म्यूटेशन हुए हैं जो कुछ एंटीबॉडीज को भी निष्क्रिय कर दे रहे हैं. यूके और कैलिफोर्निया के कोरोना वैरिएंट्स बेहद संक्रामक हैं. इनकी वजह से कई देशों में फिर कोरोना की लहर आ चुकी है. ऐसे में इनसे बनने वाले हाइब्रिड कोरोनावायरस (Hybrid Coronavirus) का असर ज्यादा भयावह होगा. एक महीने पहले हाइब्रिड कोरोना वायरस की खोज न्यू मेक्सिको के लॉस एलमोस नेशनल लेबोरेटरी के साइंटिस्ट बेट्टी कोर्बर (Bette Korber) ने की थी. बेट्टी कोर्बर ने इसके बारे में 2 फरवरी को न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज में इसका प्रेजेंटेशन दिया था. यहीं से उन्होंने पूरी दुनिया को हाइब्रिड कोरोनावायरस के बारे में दुनिया को पहली बार बताया था. साइंटिस्ट्स इस हाइब्रिड कोरोना वायरस को रीकॉम्बिनेंट्स (Recombinants) कह रहे हैं.