झारखंड के गुमला जिले में एक नाबालिग बेटी को पिता ने सालों तक बेड़ियां में इसलिए बांधकर रखा क्योंकि वो बच्ची मानसिक तौर पर कथित रूप से ठीक नहीं थी. ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना इतना बताने के लिए काफी है कि जागरूकता की कमी राजधानी रांची से थोड़े ही दूर स्थित ग्रामीण इलाकों में किस कदर हावी है. लोग अपने ही बच्चें को बेड़ियों में बांधकर रखते हैं. लेकिन अस्पताल में नहीं दिखाते. शायद उन्हें न तो कोई बताने वाला है ना ही कोई समझाने वाला. झारखंड में इस तरह की घटना कोई नई नहीं है.
गुमला जिला के घाघरा प्रखंड के एक गांव में गरीबी की मार झेल रहे मनोज उरांव ने अपनी बेटी को बेड़ियों में जकड़ दिया. जानकारी के मुताबिक मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने के चलते जब बेटी उत्पात मचाती थी तो पत्नी के कहने पर मनोज उसे बेड़ियों से जकड़ देता था. उसने ना ही इस बारे में किसी से चर्चा की और ना ही बेटी को अस्पताल ले गया. घाघरा के थाना प्रभारी कुंदन कुमार की पहल पर बेड़ियों को कटवाया गया और लड़की को चाइल्ड वेलफेयर के संरक्षण में सुपुर्द कर दिया गया.
लड़की की बेड़ियां खुलवाने के बाद घाघरा थाना प्रभारी उसके पिता की तलाश कर रहे हैं जोकि लापता है. वहीं लड़की की सौतेली मां ने अपने बयान में कहा है कि गरीबी के चलते वो उसका इलाज नहीं करा सके. ऐसे में लड़की जब उत्पात मचाती थी तो उसे बेड़ियों से जकड़ना पड़ा. जानकारी के मुताबिक लड़की रविवार को बेड़ियों सहित ही घर से भाग निकली और गम्हरिया निवासी सुरेश गोप के घर के पास जा पहुंची. सुरेश ने ना सिर्फ लड़की को खाना खिलाया बल्कि वहां के मुखिया से मामले को लेकर बात भी की.
सुरेश ने नाबालिग की हालत देखकर पहले तो उसे मानसिक रूप से बीमार समझा, लेकिन बाद में उसे पता चला कि लड़की पूरी तरह स्वस्थ है. लड़की ने बताया कि उसकी अपनी मां की मौत हो चुकी है जिसके बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली. लड़की के मुताबिक सौतेली मां के कहने पर पिता ने उसे बेड़ियों में डाल दिया था. नाबालिग की हालत देखने के बाद सुरेश गोप ने मिशन बदलाव से सहयोग की अपील की. जिसके बाद मिशन बदलाव के सदस्यों ने मदद करने के साथ साथ टवीट कर बच्ची को न्याय दिलाने की अपील की. इधर घटना की सूचना पर घाघरा थाना प्रभारी नाबालिग के घर पहुंचे और पूरे मामले को समझकर आगे की कार्रवाई कर रहे हैं. साथ ही बच्ची के हाथों में पड़ी बेड़ियों को भी कटवा दिया.