क्रिकेट में खिलाड़ी की दक्षता, कुशलता और उसके जज्बे को परखा जाता है। ऑस्ट्रेलिया के दो सगे भाइयों में क्रिकेट की विरासत एक साथ देखने को मिली। एक सुरक्षात्मक था तो दूसरे में जुझारूपन। एक क्लासिक बल्लेबाज था तो दूसरा मेहनती और पारियों को सजाता था। एक को देखकर मुंह से वाह निकलता था तो दूसरे को देखकर लगता कि यह पिच पर टिका ही रहेगा। एक मैच बनाता था तो दूसरा उसे अंजाम तक पहुंचाता था। जीत का जज्बा दोनों में था। दोनों ने एक साथ ऑस्ट्रेलिया के लिए 108 टेस्ट मैच खेले। क्रिकेट की दुनिया में भाइयों की कई जोड़ियां खेली हैं लेकिन स्टीव वाॅ और मार्क वाॅ जुड़वा भाइयों की यह पहली जोड़ी थी। 2 जून 1965 को सिडनी में दोनों का जन्म हुआ। इनमें से एक ने मध्यम गति के गेंदबाज के रूप में शुरुआत की तो दूसरा बेजोड़ बल्लेबाज। स्टीव वाॅ महान टीम का कप्तान बना तो दूसरा उस टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। टेस्ट क्रिकेट में साथ खेलने वाली जुड़वा भाइयों की पहली जोड़ी थी। स्टीव और मार्क का जन्मदिन आज 2 जून को है।
स्टीव और मार्क वॉ की बल्लेबाजी में काफी अंतर था। स्टीव वॉ विकेट पर टिककर बल्लेबाजी करते। वहीं दूसरी ओर मार्क नैसर्गिक प्रतिभा के धनी थे। उनकी कलाई की कला एशियाई बल्लेबाजों जैसी थी। टोनी ग्रेग अकसर कॉमेंट्री में कहा करते थे कि मार्क के पैड पर कभी बाॅल नहीं कर सकते। वहीं दूसरी ओर स्टीव ने मध्यम गति के बाॅलिंग ऑलराउंडर के रूप में टीम में शामिल हुए थे। मार्क स्टीव से चार मिनट छोटे हैं लेकिन टीम में जगह मिली पांच साल बाद मिली। मार्क को स्टीव की जगह ऑस्ट्रेलियाई टीम में शामिल किया गया था। उन्होंने अपने पहले ही मैच में शतक लगाकर दमदार आगाज किया। मार्क वॉ की बल्लेबाजी फ्री फ्लो होती थी। मार्क की टाइमिंग बेहतरीन थी। मार्क के ग्लांस और फ्लिक तारीफ सभी करते थे। मार्क स्लिप में बेहतरीन फील्डर साबित हुए। वह 90 का दौर था जब एकदिवसीय में सेंचुरी की दौड़ में मार्क, सईद अनवर और सचिन के बीच होती थी।
स्टीव के लिए शॉट बॉल खेलना उनकी ताकत में शुमार नहीं था। गेंद बॉडी पर होती तो वॉ उसे झेलते। कहते हैं कई बार दिन के खेल के बाद उनके शरीर पर गेंद के निशान होते। स्टीव वॉ गेंदबाज को इसका अहसास नहीं होने देते थे। हार न मानने की स्टीव वॉ की जिद ने ही 1999 के वर्ल्ड कप में लगभग बाहर हो चुकी ऑस्ट्रेलियाई टीम को विश्व विजेता बना दिया था। 2004 के अपने आखिरी टेस्ट में भारत के खिलाफ मैच निकल चुका था लेकिन स्टीव पिच पर डट गये। सीरीज 1-1 से बराबर थी और भारत के पास सीरीज जीतने का मौका। उनके इस मैच ने भारत को सीरीज ड्रॉ के साथ वापस लौटना पड़ा।
ये रहा शानदार रिकाॅर्ड
स्टीव वॉ को 1999 में मार्क टेलर से कप्तानी मिली थी। वॉ ने 1999 का वर्ल्ड कप जीता और लगातार 16 टेस्ट मैच जीतकर वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया। वॉ ने 168 टेस्ट मैचों में 10927 रन बनाए और 32 सेंचुरी लगाईं। इसके अलावा 92 विकेट भी लिए। वनडे में 1986 से 2002 के बीच उन्होंने 325 मैच में 7,569 रन बनाए और 195 विकेट लिये। मार्क वॉ ने 128 टेस्ट मैचों में 41.81 के औसत से 8029 रन बनाये। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 153 रन का रहा। 244 वनडे इंटरनेशनल मैचों में 39.35 के औसत से 8500 रन बनाए। वनडे में उनका हाईऐस्ट स्कोर 173 था। साल 2002 में मार्क वॉ ने क्रिकेट से संन्यास लिया।