पिछले सप्ताह शनिवार को हमास के हमले के बाद पश्चिमी एशिया में नया युद्ध शुरू हो गया है. करीब 5 दशकों के सबसे भयानक हमले के बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया है. यह युद्ध आज छठे दिन भी जारी है और अब इसका असर धीरे-धीरे फैलने लग गया है. ऐसी आशंकाएं हैं कि युद्ध लंबा खिंच सकता है और इस कारण कई कंपनियां अपने परिचालन को शिफ्ट करने के विकल्पों पर गौर कर सकती हैं…
तनाव खिंचने पर कंपनियों के ये विकल्प
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल में कई वैश्विक टेक कंपनियों के दफ्तर हैं और ताजे तनाव के बीच उनका परिचालन प्रभावित हो रहा है. अगर इजरायल और हमास के बीच चल रहा युद्ध खिंचता है तो वे कंपनियां फिलहाल इजरायल से अपना परिचालन भारत या अन्य देशों में शिफ्ट कर सकती हैं. टीसीएस और विप्रो जैसी भारतीय आईटी कंपनियां भी अभी अपना काम-काज भारत में शिफ्ट कर सकती हैं.
500 से ज्यादा बड़ी कंपनियों के दफ्तर
इजरायल में 500 से ज्यादा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दफ्तर हैं. उनमें इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं. कंपनियों के ये दफ्तर ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर और रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर के रूप में हैं, जिनमें 1 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं.
भारत और पूर्वी यूरोप को फायदा
ईटी की रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि इजरायल में दफ्तर चला रही कंपनियां जरूरत पड़ने पर अपना परिचालन वैसी जगहों पर शिफ्ट कर सकती हैं, जिनका टाइम जोन इजरायल के समतुल्य हो. उनका कहना है कि कंपनियां भारत के अलावा अन्य पश्चिम एशियाई देशों या पूर्वी यूरोपीय देशों पर भी विचार कर सकती हैं. बकौल एक्सपर्ट्स, अगर मामला खिंचता है तो कंपनियां अपने परिचालन पर असर को सीमित करने के लिए वैकल्पिक जगहों पर गौर करेंगी, जिससे भारत व पूर्वी यूरोप को विशेष तौर पर फायदा हो सकता है.
मारे गए हजारों लोग, लाखों विस्थापित
हमास ने शनिवार की सुबह इजरायल पर हमला कर दिया था. हमले में इजरायल के 1000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और कई लापता हैं. इजरायल ने हमास के हमले पर कड़ा रुख अपनाते हुए पूर्ण युद्ध की घोषणा कर दी है. उसके बाद इजरायल लगातार जवाबी कार्रवाई कर रहा है, उसमें भी हजारों लोग मारे जा चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच जारी युद्ध से लाखों लोग विस्थापन के शिकार हो गए हैं. वहीं आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक ने पश्चिमी एशिया में शुरू हुए इस नए युद्ध के चलते वैश्विक आर्थिक प्रगति के प्रभावित होने की आशंका जाहिर की है.