सनातन धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का विशेष महत्व बताया गया है। पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि पितरों की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में लगे कई तरह के दोषों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि के साथ पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। 10 सितंबर से पितृपक्ष शुरू होकर 25 सितंबर को समाप्त हो रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष के माह के दौरान कुछ नियमों का जरूर पालन करना चाहिए। इसी आधार पर पितृ पक्ष पर कुछ कामों को करने की मनाही होती हैं। क्योंकि इन कामों को करने से पितर रुष्ट हो जाते हैं।
पितृपक्ष के दौरान न करें ये काम
इन बर्तनों का न करें इस्तेमालपितृपक्ष के दौरान लोहे से बने बर्तनों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए माना जाता है। इन दिनों में पितरों को भी भोजन परोसा जाता है। ऐसे में लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल करने से वह रुष्ट हो सकते है। जिसके कारण परिवार की सुख-शांति, सौभाग्य पर बुरा असर पड़ेगा।
नई वस्तु की खरीदारी
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान किसी भी न चीज को खरीदने की मनाही होती है। क्योंकि यह मास पूरा अशुभ माना जाता है।
न करें इन चीजों का सेवन
पितृपक्ष के दौरान तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। बल्कि तामसिक भोजन करना चाहिए। इन दिनों में तामसिक भोजन करने से कई तरह के दोषों का शिकार हो जाते हैं।
शरीर में न लगाएं तेल
पितृपक्ष के दौरान अगर कोई व्यक्ति पितरों का श्राद्ध कर रहा हैं, तो उसे अपने शरीर में तेल नहीं लगाना चाहिए। इसके साथ ही बाल और दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए।
ब्रह्मचर्य का करें पालन
पितृपक्ष के दौरान पितरों के नाम का जप, तप और दान का विशेष महत्व है। इन दिनों मन को शांत और संयम रखना जरूरी है। इसलिए पितृपक्ष के दौरान ब्रह्मचर्य का पूरा पालन करें।