सरकार का पेट्रोल के दामों पर काबू नहीं है, क्योंकि पेट्रोल और डीजल दोनों ही ग्लोबल बाजार से आते हैं। इसलिए सरकार इनकी कीमत कम नहीं कर सकती है। मगर सरकार एक काम अवश्य कर सकती है, पेट्रोल की जगह कोई ऐसा ईंधन का प्रयोग शुरू कर दिया जाए जो बेहद सस्ता हो और लोगों की पहुंच से दूर न हो।
पेट्रोल की जगह लेगा ये ईंधन
पेट्रोल की जगह लेगा एथनॉल (ethanol), सरकार अगले 8-10 दिनों में फ्लेक्स फ्यूल इंजन (flex-fuel engines) पर बड़ा निर्णय करने जा रही है। ऐसे इंजन को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए जरूरी कर दिया जाएगा। फ्लेक्स फ्यूल का अर्थ है Flexible Fuel, यानी ऐसा ईंधन जो पेट्रोल की जगह इस्तेमाल हो सके और वो है एथनॉल। सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस वैकल्पिक ईंधन के दाम 60-62 रुपये प्रति लीटर होगी, जबकि पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर से भी अधिक है। इस कारण एथनॉल के प्रयोग से देश के लोग प्रति लीटर 30-35 रुपये की बचत कर सकेंगे।
फ्लेक्स फ्यूल इंजन होगा जरूरी
नितिन गडकरी के अनुसार “मैं परिवहन मंत्री हूं, मैं इंडस्ट्री को एक आदेश जारी करने जा रहा हूं कि सिर्फ पेट्रोल इंजन नहीं होंगे, फ्लेक्स-फ्यूल इंजन भी होंगे, जहां लोगों के लिए ऑप्शन होगा कि वे 100 परसेंट कच्चे तेल का इस्तेमाल करें या फिर 100 परसेंट एथनॉल का उपयोग कर सकें। उन्होंने बताया कि आगामी 8-10 दिन में फैसला लेने जा रहे हैं, हम फ्लेक्स फ्यूल इंजन को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए जरूरी कर दिया जायेगा।
इन देशों में बनते हैं फ्लेक्स फ्यूज इंजन
नितिन गडकरी ने कहा कि ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल ईंधन का उत्पादन कर रहे हैं। इन देशों में ग्राहकों को 100 फीसदी पेट्रोल या 10 फीसदी बायो एथनॉल की ऑप्शन मुहैया करवाया जा रहा है। नितिन गडकरी के दनुसार मौजूदा समय में प्रति लीटर पेट्रोल में 8.5 फीसदी एथनॉल मिलाया जाता है, जो कि 2014 में 1 से 1.5 फीसदी हुआ करता था। एथनॉल की खरीदारी भी 320 करोड़ लीटर हो गई है।
पेट्रोल से कहीं बेहतर है ये फ्यूल
गडकरी ने बताया है कि एथनॉल, पेट्रोल से कहीं बेहतर ईंधन है और यह कम लागत वाला, प्रदूषण मुक्त और स्वेदशी है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाला कदम है ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे देश में मकई, चीनी और गेहूं सरप्लस है और इनको रखने के लिए हमारे पास स्थान नहीं है।