अजीत सिंह की हत्या का खुलासा होने के बाद धीरे-धीरे आरोपियों पर शिंकजा कसता जा रहा है। पूर्व सांसद का नाम आने तक पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी है। पुलिस ने अजीत सिंह हत्याकांड में शामिल कई लोगों को रिमांड पर लिया। पुलिस सख्ती से पूछताछ कर रही है। पुलिस ने अजीत सिंह की पत्नी से पूछताछ की है। इसके बाद पूर्व सांसद व बाहुबली धनंजय सिंह के वारदात में शामिल होने का खुलासा किया। पुलिस धनंजय सिंह को दबोचने की कोशिश की लेकिन असफल होने के बाद गैरजमानती वारंट जारी कराया। पूर्व सांसद की गिरफ्तारी नहीं हो पाती है तो पुलिस भगोड़ा घोषित कर उनकी संपत्ति भी कुर्क कर सकती है। कठौता चैराहे पर हुए गैंगवार में अजीत सिंह की हत्या 6 जनवरी को हुई थी। हत्या के बाद दूसरे दिन ही अजीत की पत्नी रानू सिंह ने मऊ में जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह, आजमगढ़ के माफिया कुंटू सिंह उर्फ ध्रुव सिंह, अखंड सिंह व गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर के खिलाफ लिखित तहरीर दी थी। मऊ पुलिस ने लखनऊ में वारदात होने के कारण उसे संबंधित थाने में जाने को कह दिया। विभूतिखंड में अजीत के करीबी मोहर सिंह की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया था।
रानू की तहरीर बाद में मिली। पुलिस ने रानू का बयान दर्ज कराया है। बयान में पूर्व सांसद धनंजय सिंह, अखंड सिंह, धु्र्रव उर्फ कुंटू सिंह, गिरधारी उर्फ डॉक्टर का नाम लिया था। पुलिस ने बयान को अपनी कार्रवाई में शामिल कर लिया। पुलिस पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ साक्ष्य एकत्रित कर रही है। प्रभारी निरीक्षक चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि गैंगवार में एक शूटर के घायल होने की जानकारी हुई तो पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की। शूटर का इलाज सुल्तानपुर के एक निजी अस्पताल में किया गया। पुलिस अस्पताल के मालिक व चिकित्सक डॉ. एके सिंह की तलाश शुरू की। जब डाॅक्टर एके सिंह नहीं मिले तो पुलिस ने सफीना नोटिस जारी किया। नोटिस जारी होने के बाद डॉ. एके सिंह विभूतिखंड थाने आये।
डाॅक्टर ने बयान दर्ज कराया जिसमें कहा कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने ही उनको कॉल कर घायल शूटर का इलाज करने को कहा था। शूटर को पूर्व सांसद के करीबी विपुल सिंह के साथ अस्पताल भेजा था जहां उनके जूनियर डॉक्टर ने इलाज किया। उन्हें बताया गया था कि घायल को पेट में सरिया लगी है। जूनियर डॉक्टर ने भी यही बात डॉ. एके सिंह को बताई थी। शरीर में गोली नहीं मिली थी जिससे पुष्टि नहीं हो सकी। पुलिस ने उनके खिलाफ धारा 176 की कार्रवाई की। उन्हें पांच लाख के निजी मुचलके पर थाने से छोड़ा गया था। डॉ. एके सिंह के बयान के बाद पुलिस को पूर्व सांसद के खिलाफ और सबूत मिले जिसके आधार पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। पुलिस ने नोटिस जारी किया था लेकिन पूर्व सांसद ने अपना बयान नहीं दर्ज कराया है।
पुलिस के मुताबिक कस्टडी रिमांड में संदीप बाबा ने कुंटू सिंह, अखंड सिंह और धनंजय सिंह का नाम लिया था। वहीं उसने शूटरों के इंतजाम के लिए गिरधारी का नाम बताया था। पुलिस ने 13 फरवरी को गिरधारी को तीन दिन के कस्टडी रिमांड में लिया था। 13 व 14 फरवरी को उसने अपना बयान दर्ज कराया। बयान में पूर्व सांसद के इशारे पर अजीत की हत्या करने की बात कही। सांसद ने ही शूटरों के रहने का ठिकाना तय किया था। खर्च की रकम अंकुर के खाते में जमा की जाती थी जिसे जरूरत के मुताबिक गिरधारी के इशारे पर खर्च किया जाता था। शूटरों के घूमने का भी इंतजाम धनंजय सिंह ने ही किया था। पुलिस के मुताबिक असलहों के इंतजाम में भी धनंजय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। धनंजय खुद न सामने आकर वह अपने करीबी विपुल सिंह के जरिए सारे इंतजाम करता था। अब पूर्व सांसद पर शिकंजा कसता जा रहा है।