हिन्दू धर्म के मुताबिक अनंत चतुर्दशी को गणपति विसर्जन के साथ गणेश महोत्सव समाप्त हो जाता है और इसके अगले दिन से ही पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) की शुरुआत हो जाती है। श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन कृष्ण अमावस्या तक यानी कुल 15 दिनों तक रहता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का महत्व बहुत अधिक होता है।
इस वर्ष यह पक्ष 20 सितंबर 2021, सोमवार (Pitru Paksha 2021 Start Date) से शुरू हो रहे हैं और 6 अक्टूबर 2021, बुधवार तक चलेंगे। श्राद्ध पक्ष में माना जाता है कि इस दौरान पितृ कौओं के रूप में आपके यहां आते हैं और श्राद्ध का भोजन करके तृप्त हो जाते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसका रहस्य।
इसलिए कराते हैं कौए को भोजन?
- शास्त्रों में माना गया है कि कौए और पीपल पितृ का रूप हैं। इसलिए पितृ पक्ष में कौए को खाना खिलाकर और पीपल को पानी पिलाकर पितृों को तृप्त किया जाता है। कौए को छत पर जाकर अन्न, जल देना बेहद पुण्य का काम है।
- शास्त्रों के मुताबिक कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में वास कर सकती है।
- शास्त्रों में कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितृों का आश्रय स्थल माना जाता है। आश्रय स्थल अर्थात कई पुण्यात्मा कौए के रूप में जन्म लेकर सही वक्त और गर्भ का इंतजार करती हैं। कहा जाता है कि जब प्राण निकल जाते हैं तो सबसे पहले आत्मा कौए का रूप ही धारण कर लेती है।
- माना जाता है कि कौआ यमराज का प्रतीक है और हमारे पितृ यमलोक में ही वास करते हैं।
माना जाता है कि अगर कौआ आपके श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर ले तो समझो आपके पितृ आपसे प्रसन्न और तृप्त हैं और अगर नहीं करें तो समझो कि आपके पितृ आपसे नाराज और अतृप्त हैं। - मान्यताओं के मुताबिक कौओं को देवपुत्र भी माना गया है।
- कहा जाता है कि एक बार एक कौए ने माता सीता के पैरों में चोंच मार दी थी, जिससे उनको पैर में घाव हो गया था। जिसके बाद श्रीराम ने अपने बाण से उस कौए की आंख फोड़ दी थी। जब कौए को पछतावा हुआ तो श्रीराम ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि तुमको खिलाया हुए भोजन से पितृ तृप्त होंगे। यह कौआ देवराज इंद्र के पुत्र जयंती थे। उसी समय से कौओं को भोजन खिलाने का महत्व अधिक बढ़ गया।
- मान्यता है कि जिस दिन किसी कौए की मौत हो जाती है उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है।
कौआ कभी भी अकेले में भोजन नहीं खाता, वह किसी साथी के साथ ही मिल-बांटकर भोजन करता है।