उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने मंगलवार को कहा कि विश्वविद्यालयों को कौशल विकास से युवाओं को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के छठवें दीक्षान्त समारोह में शिरकत करते हुये पटेल ने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाएं बेरोजगार युवाओं के लिए वरदान साबित हो सकती है। उन्होंने गोल्ड मेडल लेने मंच पर पहुंचे मेधावियों में उत्साह को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि मुझे किसी में भी खुशी नहीं दिखी। गोल्ड मेडल लेने आने में चाल, ढ़ाल, चेहरे और शक्ति में गोल्ड मेडल का उत्साह दिखना चाहिए।
उन्होंने इस मौके पर 43 मेधावियों को गोल्ड मेडल दिया। इसके साथ ही उन्होंने 23344 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की। राज्यपाल के हाथों उपाधि प्राप्त करने वालों में स्नातक के 19448 व स्नातकोत्तर के 3894 मेधावी थे, जिसमें 9452 छात्र और 13890 छात्राएं थीं। उन्होंने कहा कि लड़कियां आगे बढ़ रही हैं। लड़के पिछड़ रहे है। लड़कियों को ज्यादा स्वर्ण पदक प्राप्त हो रहे हैं। इस दौरान अपने संबोधन में राज्यपाल ने मेडल लेने मंच पर पहुंचे छात्र-छात्राओं उत्साह को लेकर चिंता भी जाहिर की। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कई छात्र-छात्राओं को आज मेडल प्राप्त हुए हैं लेकिन मेडल लेने के लिए आए छात्र-छात्राओं में कोई खुशी नहीं दिखाई पड़ी। कौशल विकास से युवाओं को जोड़ने में विश्वविद्यालयों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने युवाओं को रोजगार से जोड़ने को लेकर मोदी सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारी नौकरी उन्हें ही मिल पाएगी, जो प्रतियोगिता में उत्तीर्ण होंगे। प्रतियोगिता में अनुत्तीर्ण होने वाले कहां जायेंगे। उनके आगे बढ़ने में कौशल विकास सशक्त माध्यम साबित हो सकता है।
राज्यपाल ने कहा “ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर विद्यार्थी के लिए पैसे का प्रावधान किया है। कौशल विकास पर फोकस नहीं होगा तो विद्यार्थियों को लाभ कैसे होगा। देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों को बाध्य किया गया है कि विद्यार्थियों को इंटर्नशिप कराएंगे। इससे विद्यार्थियों को रोजगार मिलेगा। एक करोड़ से अधिक बच्चों के लिए बिना ब्याज धनराशि देने का प्रावधान केन्द्र सरकार ने किया है। यह इसलिए किया गया है ताकि रोजगार बढ़े।”
उन्होंने कहा कि युवा जब इंटर्नशिप करने बड़ी कंपनियों में जायेगे तो उनकी प्रतिभा को देखकर उन्हें नौकरी मिलेगी। इसके बाद वह सरकार की योजना के जरिए अपना स्वयं का रोजगार शुरू कर नौकरी देने वाले स्थिति में आ सकते हैं। इस तरह वह सरकारी नौकरी करने वाले से आगे निकल सकते हैं, क्योंकि सरकारी नौकरी करने वाला अपने स्थान पर ही रह जायेगा। यदि हम विद्यर्थियों को कौशल नहीं देंगे तो विकास भी नहीं होगा।