बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है। तारीखें मुकर्रर हो चुकी है। तैयारियां अपने शबाब पर है। सियासी दल हर उस कोशिश को अंजाम तक पहुंचाने में जुट चुके हैं, जिससे वहां का सियासी किला अपने नाम किया जा सके, मगर अभी मौजूदा दौर में उंहापोह की स्थिति बनी हुई है तो वो है सीटों का बंटवारा। महागठबंधन में अब सीटों का बंटवारा हो चुका है। बताया जा रहा है कि आज इसे लेकर औपचारिक ऐलान भी किया जा सकता है, मगर अभी-भी कहीं-कहीं पर संशय की सुगबुगाहट आ रही है। खबर है कि अब एक साथ मिलकर गठबंधन की नौका पर सवार होकर सरकार चला रही जेडीयू ने अब बीजेपी के सामने घुटने टेक दिए हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार 50 :50 के फॉर्मेल पर राजी हो गए हैं।
बताया जा रहा है कि पिछले काफी दिनों बिहार विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए नीतीश कुमार जिद्द धड़े बैेठे थे, लेकिन बीजेपी के जिद्द के आगे उनकी एक नहीं चली और आखिरकार बीेजेपी के उस प्रस्ताव पर अपनी अंतिम मुहर लगानी पड़ी, जिसमें दोनों ही दलों के बीच 50-50 के फॉर्मूले पर चुनाव लड़ने की बात कही गई है। जेडीयू 122 सीटों पर और भारतीय जनता पार्टी 121 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इतना ही नहीं, जेडीयू बीजेपी की कई सीटों पर अपना दावा ठोंक रही थी, लेकिन आखिरकार उसे अपने कदम पीछे खींचने पड़ गए।
बीजेपी लोजपा, तो जेडीयू हम को देगी सीट
इसके साथ ही बीजेपी लोकजन शक्ति पार्टी को भी सीट देगी, लेकिन शर्त यह है कि लोजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बने रहे। अगर वे यहां छिटकते हैं, तो फिर उनके हाथ से यह प्रस्ताव फिसल सकता है, चूंकि बीते दिनों कुछ दिनों से जिस तरह से लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कड़े तेवर दिखाएं हैं, उससे यह माना जा रहा है कि वे अकेले ही 143 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। बता दें कि इस संदर्भ में पटना में कल लंबी मैराथल बैठक चली थी। उथर, एक बार फिर से नीतीश को बीजेपी के जिद्द के आगे झुकना पड़ा है।