इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला सुर्खियों में है. अतुल पर उनकी पत्नी ने दहेज उत्पीड़न समेत कई केस दर्ज कराए थे. अतुल इससे परेशान थे और उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला ले लिया. अतुल की आत्महत्या की खबरों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा है कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में अदालतों को कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए. अदालत ने कहा कि पति के सगे-संबंधियों को फंसाने की प्रवृत्ति को देखते हुए निर्दोष परिवार के सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाना चाहिए.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, वैवाहिक विवाद से उत्पन्न आपराधिक मामले में परिवार के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी को संकेत करने वाले आरोपों के बिना उनके नाम का उल्लेख शुरू में ही रोक दिया जाना चाहिए.
पीठ ने कहा, न्यायिक अनुभव से यह सर्वविदित तथ्य है कि वैवाहिक विवाद उत्पन्न होने की स्थिति में अक्सर पति के सभी परिजनों को फंसाने की प्रवृत्ति होती है. ठोस सबूतों या विशिष्ट आरोपों के बिना सामान्य प्रकृति के और व्यापक आरोप आपराधिक अभियोजन का आधार नहीं बन सकते हैं. इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालतों को कानूनी प्रावधानों और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने एवं परिवार के निर्दोष सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए.