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Gyanvapi: वैज्ञानिक सर्वे पर रोक की मांग वाली याचिका पर SC में सुनवाई आज

ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Campus) का सर्वे कराने की इजाजत (permission to survey) देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के फैसले खिलाफ दायर मुस्लिम पक्ष की याचिका (Muslim party’s petition) पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ इस पर सुनवाई करेगी।

गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के कुछ घंटे बाद ही अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के वकील निजाम पाशा ने मामले को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने मेंशन कर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। इसमें सर्वे पर रोक की मांग की गई है। हिंदू पक्ष ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर बिना उनका पक्ष सुने कोई आदेश न देने का अनुरोध किया है।

इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से वैज्ञानिक सर्वे कराने के वाराणसी जिला जज के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि जिला जज का सर्वेक्षण कराने का आदेश विधि सम्मत है। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने गुरुवार को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की याचिका खारिज करते हुए कहा, परिसर का एएसआई से वैज्ञानिक सर्वे करवाने का जिला कोर्ट का आदेश न्यायोचित और सही है। इसमें दखल देने का कोई कारण नहीं है। एसआई का प्रस्तावित सर्वे न केवल न्याय हित में जरूरी है, बल्कि दोनों पक्षों के लिए लाभकारी भी है। 16 पेज के आदेश में कोर्ट ने कहा, एएसआई के एडीजी आलोक त्रिपाठी, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (एएसजीआई) शशि प्रकाश सिंह ने हलफनामा देकर कहा है कि सर्वे के दौरान ढांचे को कोई नुकसान नहीं होगा। इस दौरान न कोई खोदाई होगी, न ही ड्रिल किया जाएगा। बिना किसी नुकसान के ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया जाएगा। इसके बाद इस कथन पर संदेह करने का कोई औचित्य नहीं है।

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया, हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि एएसआई सर्वे का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद एएसआई ने सर्वेक्षण की तैयारी शुरू कर दी है। वाराणसी के डीएम एस राजलिंगम ने बताया कि एएसआई ने शुक्रवार सुबह सात बजे से सर्वे का काम शुरू करने के लिए स्थानीय प्रशासन से मदद मांगी है। वाराणसी जिला जज ने एएसआई को यह पता लगाने का आदेश दिया था कि क्या 17वीं सदी की यह मस्जिद किसी मंदिर के ऊपर बनी है।