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NATO की भारत, चीन और ब्राजील को चेतावनी, कहा- रूस के साथ किया व्यापार तो लग सकता है….

नाटो के महासचिव मार्क रूट ने भारत, चीन और ब्राजील को सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यदि ये देश रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंध जारी रखते हैं, तो उन पर गंभीर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। रूट ने यह बयान अमेरिकी सीनेटरों के साथ मुलाकात के बाद दिया। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के लिए नए हथियारों की आपूर्ति करने की घोषणा की है। ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर अगले 50 दिनों में दोनों देशों में शांति समझौता नहीं हुआ, तो रूस से निर्यात खरीदने वाले सभी देशों पर 100% का कठोर द्वितीयक टैरिफ लगाया जाएगा।

रूस को शांति वार्ता के लिए मनाएं: रूट

रूट ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “मैं भारत, चीन और ब्राजील के नेताओं से कहना चाहता हूं कि वे इस स्थिति को गंभीरता से लें, क्योंकि इसका असर उनके देशों पर बहुत बड़ा होगा।” उन्होंने सुझाव दिया कि इन देशों के नेताओं को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से संपर्क कर शांति वार्ता को गंभीरता से लेने के लिए कहना चाहिए। अमेरिकी सीनेटर थॉम टिलिस ने ट्रंप के इस कदम का समर्थन किया, लेकिन 50 दिनों की समयसीमा को लेकर चिंता जताई।

पुतिन शांति वार्ता का दुरुपयोग कर सकते हैं: टिलिस

सीनेटर टिलिस ने आशंका जताई कि पुतिन इस 50 दिन की अवधि का उपयोग युद्ध में बढ़त हासिल करने या शांति वार्ता के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने में कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “पुतिन ने यूक्रेन में हिंसा फैलाई है और संभवतः और अधिक क्षेत्र पर कब्जा किया है, जिसे वे बातचीत का आधार बना सकते हैं। हमें यूक्रेन की मौजूदा स्थिति को देखकर यह स्पष्ट करना चाहिए कि अगले 50 दिनों में कोई भी नया कब्जा स्वीकार्य नहीं होगा।”

यूक्रेन को और हथियार देगा अमेरिका

रूट ने यह भी बताया कि यूरोप यूक्रेन को शांति वार्ता में मजबूत स्थिति में लाने के लिए धन जुटाएगा। साथ ही, ट्रंप के समझौते के तहत अमेरिका अब यूक्रेन को बड़े पैमाने पर हथियार उपलब्ध कराएगा, जिसमें हवाई रक्षा प्रणालियां, मिसाइलें और यूरोपीय देशों द्वारा वित्तपोषित गोला-बारूद शामिल होंगे। जब रूट से लंबी दूरी की मिसाइलों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “यह रक्षा और आक्रमण दोनों के लिए है। विभिन्न प्रकार के हथियारों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन इसकी विस्तृत चर्चा राष्ट्रपति के साथ नहीं हुई। अब यह मामला पेंटागन, यूरोप में नाटो के कमांडर और यूक्रेनी पक्ष के साथ विचाराधीन है।”