20 जनवरी को अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने से पहले, Ministry of Heavy Industries ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पॉलिसी पर डिसकशन के लिए टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और दुनियाभर के ईवी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को न्यौता भेजा है. इस मीटिंग में भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर्स कार की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की प्लानिंग या ईवी पॉलिसी के लिए गाइडलाइंस सेट करने के लिए है. गाइडलाइंस पर सलाह का ये दूसरा सेशन है.
भारत के साथ टेस्ला की हिस्ट्री को देखते हुए उससे फिर से जुड़ने पर विचार किया जा रहा है. भारत में कंपनी की इन्वेस्टमेंट की प्लानिंग फिलहाल बीच में ही अटकी हुई थी. संभावना है कि इस मामले पर फिर से चर्चा शुरू हो सकती है. वियतनाम की विनफास्ट ने पहले ही भारत में इन्वेस्टमेंट के लिए हाथ बढ़ाया है.
ईवी पॉलिसी में कई प्रस्ताव शामिल हैं जिसमें से एक ईवी मैन्युफैक्चरर के लिए एक्सपोर्ट कॉस्ट में कमी का प्रपोजल भी शामिल है. जो भारत में कम से कम $500 मिलियन (लगभग 4,150 करोड़ रुपये) का इन्वेस्ट करना है. साथ ही ऑपरेशन के तीन सालों के अंदर डीवीए 25 प्रतिशत और पांचवें साल तक 50 प्रतिशत हासिल करना है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केपेबल मैन्युफैक्चरर , $35,000 सीआईएफ (कॉस्ट, इंश्योरेंस और माल ढुलाई) से ज्यादा कीमत वाले EV पर इम्पोर्ट टैक्स को मौजूदा दरों 70 प्रतिशत या 100 प्रतिशत से कम कर के 15 प्रतिशत कर दिया जाएगा.
ईवी पॉलिसी ग्लोबल ऑटो मैनुफैक्चरर्स को लाने और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी को मजबूत करने के लिए डिजाइन की गई है. ये पॉलिसी इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों को भारत में प्रोडक्शन से जुड़ी सुविधाएं प्लान करने के लिए बढ़ावा देती है.
इस मीटिंग में Tesla, Hyundai, BMW, Mercedes-Benz, Kia, Toyota and Renault-Nissan के साथ ग्लोबल ईवी कंपनियां भी हिस्सा ले सकती हैं. इसके अलावा भारतीय कार मैन्युफैक्चरर टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और मारुति सुजुकी जैसी कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं. इन कंपनियों को इस मीटिंग पहले दौर में देखा गया था.