जन्मदर (birth rate) में लगातार गिरावट (continuous decline) ने चीन (China) के सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। युवाओं (youth) की कमी है और बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि चीन व्यवस्था लागू कर नागरिकों को जबरन गर्भधारण (forced pregnancies for citizens) पर मजबूर कर रहा है।
जियो पॉलिटिका रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए देश में कई प्रतियोगिताएं भी शुरू कर दी गई हैं। ज्यादातर माता-पिता का कहना है कि बच्चे पैदा न करने के पीछे वजह देखभाल की जिम्मेदारी है। वह बच्चों की भलाई और देखभाल के लिए पर्याप्त वित्तीय सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकते।
कोविड के कारण क्वारंटीन और लॉकडाउन की वजह से उनका जीवन पहले से ही बहुत दबाव में है। हांगकांग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल बीजिंग ने एक नया जनसंख्या और परिवार नियोजन कानून जारी किया जो चीनी जोड़ों को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति देता है।
छह साल में शादियों में आई 41 फीसदी गिरावट
राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक 2013 से 2019 के बीच छह साल में देश में शादियों में 41 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल सिर्फ 70.60 लाख लोगों ने शादी के लिए पंजीकरण कराया था। यह पिछले 36 साल में सबसे कम आंकड़ा है। चीन की जन्मदर प्रति 1000 लोगों पर 7.5 रह गई है।
एक बच्चे की नीति से भरोसा खो चुकी सरकार
चीनी नागरिकों का कहना है कि उनके माता-पिता ने उस यातना को सहा है, जब सरकार ने एक बच्चे की नीति को लागू किया था। जबरन लाखों गर्भपात कराए गए। दूसरा बच्चा करने वालों को जुर्माना और जेल भी होती थी।