Breaking News

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने महान क्रांतिकारी कामरेड तेजा सिंह स्वतंत्र की प्रतिमा से पर्दा हटाया

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज यहाँ महान क्रांतिकारी तेजा सिंह स्वतंत्र की 50वीं बरसी के मौके पर करवाए गए समागम के दौरान उनकी प्रतिमा से पर्दा हटाया।


कामरेड तेजा सिंह स्वतंत्र के बेमिसाल योगदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने उनको राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्ष का महान नायक बताया। उन्होंने प्रसिद्ध स्वतंत्रता सैनानी द्वारा संसद मैंबर के तौर पर निभाई गई सेवाओं को याद किया। भगवंत मान ने कहा कि कामरेड तेजा सिंह स्वतंत्र का जीवन और देश के प्रति योगदान लोगों ख़ासकर नौजवानों को देश की निष्काम सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे महान नेताओं के नाम पर किसी भी अवॉर्ड या सम्मान का नाम रखने से उसका महत्व बढ़ जाता है। राष्ट्रीय आज़ादी के संघर्ष के दौरान अपना जीवन कुर्बान करने वाले महान शहीदों के लिए भारत रत्न पुरस्कार की ज़ोरदार वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन महान शहीदों को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित करने से इस पुरस्कार का सम्मान और अधिक बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि सही मायनों में यह शहीद ही इस अवॉर्ड के असली हकदार हैं, क्योंकि उन्होंने विदेशी हुकूमत से मुल्क को आज़ाद करवाने के लिए बेमिसाल बलिदान दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अफ़सोस की बात है कि आज़ादी के 75 साल से अधिक समय बीतने के बाद भी यह अवॉर्ड असली नायकों को नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार के लिए देश के प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति द्वारा चयन किया जाता है। भगवंत मान ने व्यंग्य कसते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी से सम्बन्धित दो प्रधानमंत्रियों ने इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए अपने ही नाम की सिफ़ारिश कर दी थी।

मुख्यमंत्री ने दृढ़ता से कहा कि अलग-अलग विचारों और नज़रिए वाली लोकतांत्रिक प्रणाली हमेशा कामयाब होती है। भगवंत मान ने कहा कि इसी तरह लोकतंत्र में विपक्ष और सत्ताधारी, दोनों पक्ष अहम हैं और दोनों को राज्य को विकास की दिशा की ओर ले जाने के लिए पुरज़ोर कोशिशें करनी चाहीए हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति को केवल मतदान तक महदूद रखना चाहिए और इसके बाद सभी को राज्य की तरक्की और लोगों के कल्याण के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

विपक्ष की आवाज़ को दबाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि केंद्रीय सत्ता में बैठे लोग अपने विरोध में कुछ भी सुनने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि जो भी इन हुक्मरानों के ‘मित्रों’ के खि़लाफ़ बोलता है, उनको संसद से बाहर कर दिया जाता है, जो लोकतंत्र की भावना के खि़लाफ़ है। भगवंत मान ने कहा कि इस रुझान को तुरंत बंद करने की ज़रूरत है, क्योंकि शहीद भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, कामरेड तेजा सिंह स्वतंत्र ने मुल्क में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की थी।

अपनी सरकार की लोक-हितैषी पहलें गिनाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की बागडोर संभालने के समय से ही वह राज्य को दरपेश मसलों के समाधान के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार राज्य निवासियों को मुफ़्त बिजली मुहैया कर रही है, जिसके नतीजे के तौर पर 80 प्रतिशत लोगों का बिजली का बिल ज़ीरो आया है। भगवंत मान ने कहा कि 9 हज़ार एकड़ से अधिक ज़मीन को धनवानों के कब्जे से मुक्त करवाया गया है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य में मानक स्वास्थ्य सुविधाएँ देने के लिए 500 से अधिक आम आदमी क्लीनिक लोगों को समर्पित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह क्लीनिक लोगों को मुफ़्त में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएँ और जाँच सेवाएँ मुहैया कर रहे हैं। भगवंत मान ने कहा कि अब तक 21.21 लाख मरीज़ इन आम आदमी क्लीनिकों से लाभ ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन क्लीनिकों से सरकार को राज्य में फैली अलग-अलग बीमारियों और उनके साथ प्रभावशाली तरीके से निपटने के लिए एक डेटाबेस तैयार करने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने अब तक पंजाब के 28 हज़ार से अधिक नौजवानों को सरकारी नौकरियाँ मुहैया की हैं। उन्होंने कहा कि यह नौकरियाँ पूरी तरह से मैरिट के आधार पर दी गई हैं और इसलिए पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित बनाई गई। भगवंत मान ने कहा कि इसका मंतव्य राज्य की सामाजिक-आर्थिक तरक्की में नौजवानों को बराबर हिस्सेदार बनाना है।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने गाँव-वासियों की बड़ी माँग को स्वीकार करते हुए इस राष्ट्रीय नायक के नाम पर पुस्तकालय और एस.टी.पी. के निर्माण के साथ-साथ सडक़ को चौड़ी और मज़बूत करने का ऐलान किया।  इस मौके पर कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा और अन्य उपस्थित थे।