भारतीय वायुसेना (Indian Airfroce) के हेलीकॉप्टर दुर्घटना ( Chopper Crash) में मारे गए लोगों में से एक ब्रिगेडियर लखबिंदर सिंह लिड्डर (Brigadier Lakhbinder Singh Lidder) परिवार में दूसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी थे. हरियाणा स्थित पंचकुला निवासी रहे लिड्डर पिछले एक साल से अधिक समय से जनरल बिपिन रावत के स्टाफ में थे. उन्होंने जम्मू-कश्मीर राइफल्स की दूसरी बटालियन की कमान संभाली थी.
ब्रिगेडियर लिड्डर जल्द ही जनरल रावत का स्टाफ छोड़कर एक डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में सेवाएं देने वाले थे. उन्हें मेजर जनरल रैंक के पद प्रमोट किए जाने की अनुमति मिल गई थी. सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर के बेटे, लिड्डर ने भी हिमाचल-तिब्बत सीमा पर एक ब्रिगेड की कमान संभाली थी. उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज, नई दिल्ली में पढ़ाई भी की थी. लिड्डर अक्सर सैन्य मामलों पर लिखते थे.
सर्च ऑफ ए टाइटल’ का किया गया था विमोचन
दोस्तों के बीच टोनी नाम से प्रसिद्ध लिड्डर की शादी गीतिका से हुई थी. वह पेशे से टीचर हैं. बीते 28 नवंबर को लिड्डर दंपति ने 12 वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही 16 वर्षीय बेटी की एक किताब लॉन्च होने का जश्न मनाया था. स्व. CDS बिपिन रावत की पत्नी स्व. मधुलिका रावत और पुडुचेरी की पूर्व राज्यपाल किरण बेदी द्वारा ‘इन सर्च ऑफ ए टाइटल’ का विमोचन किया गया था.
रावत के इन स्टाफ मेंबर्स का भी हुआ निधन
जनरल रावत के स्टाफ के एक अन्य अधिकारी, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, 11 गोरखा राइफल्स के थे. उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर पर तैनाती और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में कार्यकाल सहित अपनी बटालियन के साथ विभिन्न अभियानों में काम किया था. वह मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले थे लेकिन परिवार बाद में नई दिल्ली रहता था. दुर्घटना में दो अधिकारियों के अलावा स्पेशल फोर्स के पांच पीएसओ और जनरल रावत के स्टाफ पर 11 गोरखा राइफल्स के एक हवलदार का भी निधन हो गया.
पिछले तीन साल से जनरल रावत के साथ रहे 35 वर्षीय नायक गुरसेवक सिंह की भी हादसे में मौत हो गई. वह पंजाब के तरनतारन जिले के डोडे गांव के रहने वाले थे. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार गुरसेवक के भाई गुरबख्श सिंह ने कहा ‘हमने सपने में भी इसके बारे में नहीं सोचा था. उन्होंने कल रात हमसे बात की और आज वह नहीं रहे.’ हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले के प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत क्रैश के बाद भी जिंदा थे. हादसे के बाद Mi-17V5 के मलबे से निकाले जाने पर उन्होंने हिंदी में अपना नाम भी बताया था.यह जानकारी बचाव दल के एक सदस्य ने दी.