भारत (India) और रूस (Russia) का ज्वाइंट डिफेंस वेंचर ब्रह्मोस एयरोस्पेस (BrahMos Aerospace) हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में सक्षम है. भारत पांच से छह साल में पहली हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल बनाने में सफल हो जाएगा. ये जानकारी 13 जून 2022 को ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने दी है.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी अतुल राणे ने कहा कि हम हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में सक्षम हैं. पांच से छह साल के अंदर हम पहले हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल बना देंगे. अतुल ब्रह्मोस मिसाइल के सिल्वर जुबली (1998-2023) सेलिब्रेशन कार्यक्रम में बोल रहे थे. ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे ताकतवर और रफ्तार में चलने वाली क्रूज मिसाइल है.
BrahMos को दुनिया का सबसे तेज, बेस्ट और सबसे सटीक घातक हथियार है. 12 जून 2022 को ब्रह्मोस मिसाइल की पहली सुपरसोनिक उड़ान के 21 साल पूरे हो गए हैं. 12 फरवरी 2023 को ब्रह्मोस रेजिंग डे के दिन सिल्वर जुबली ईयर मनाया जाएगा. इस दौरान कई कार्यक्रम किए जाएंगे. आइए जानते हैं कि ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत क्या होगी.
रूस और भारत मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं. इसमें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जो इसे शानदार गति और ग्लाइड करने की क्षमता प्रदान करेगा. इस मिसाइल की रेंज 600 किलोमीटर होगी. जिसे बढ़ाकर 1000 किलोमीटर किया जा सकता है. लेकिन इसकी गति बहुत ज्यादा होगी. यह मैक-8 यानी 9800 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी.
ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल एंटी-शिप, लैंड अटैक, सतह से सतह पर मार करने वाली हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल होगी. इसे युद्धपोत, पनडुब्बी, फाइटर जेट या जमीन पर मौजूद मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकेगा. इसका फायदा ये होगा कि चीन या पाकिस्तान के टारगेट्स को खत्म करने में इसे सेकेंड्स भी नहीं लगेंगे. इसकी गति इतनी ज्यादा होगी कि रडार पकड़ भी नहीं पाएंगे.
ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बीजिंग की हवाई सुरक्षा को भेदते हुए ऐसे निकलेगा जैसे मक्खन के बीच से छुरी निकल जाती है. यह हवा में अपनी दिशा बदल सकती है. टारगेट का पीछा करके उसे खत्म कर सकेगी. इसके लिए मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) तकनीक को अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल को नियंत्रित किया जा सके.