केंद्रीय मंत्री ऊर्जा,आवास और शहरी विकास विभाग मनोहर लाल ने कहा है कि भारतीय इतिहास में अनेक वीरांगनाओं ने अपने साहस, नेतृत्व और परोपकार से अमिट छाप छोड़ी है। इन महान नारियों में एक दिव्य नाम है – देवी अहिल्याबाई होल्कर। वह केवल एक सफल शासिका ही नहीं, बल्कि धर्म, सेवा, न्याय और नारी सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति थीं। उनकी जीवन गाथा केवल नारी के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त मानव समाज के लिए एक प्रेरणापुंज है। यहां तक कि उनके द्वारा स्थापित किए गए आदर्श वर्तमान केन्द्र सरकार और भाजपा शासित राज्य सरकारों के लिए व्यवस्था सुधार में मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं। यह भाजपा की पंरपरा है कि सबको समान अवसर देने की नीति पर काम हो। नारी हमारे देश में पूज्यनीय है। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः, यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः। हमारे देश में नारी सरस्वती भी है और दुर्गा भी है। नारी प्रेरणा भी है और राह भी है।
मनोहर लाल ने कहा है कि मेरे जीवन में मेरी मां ने मुझे इस राह पर बढ़ने का हौंसला दिया, तो देवी आहिल्याबाई होल्कर के जीवन से प्रेरित होकर एक राजनेता और जनसेवक के रूप में मैंने अनेक निर्णय लिए। अहिल्याबाई के आदर्श आत्मबल प्रदान करते हैं। मुझे राजनीति के माध्यम से जनसेवा का मौका मिला तो नारी सशक्तिकरण के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहा। समाज उत्थान में जो महिलाएं अपनी भूमिका निभा रही हैं उनको सम्मान दिया और उन गरीब महिलाओं को सशक्त किया, जो आगे आकर अपने परिवार और समाज के लिए कुछ करना चाहती थी। मैंने हरियाणा में अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान देवी अहिल्याबाई की नीतियों और लोकतंत्र के मूल्यों को सदैव महत्व दिया है।
आज भी वर्तमान मुख्यमंत्री इस परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। बेटी-बचाओ-बेटी-पढ़ाओ अभियान में हमारा प्रदेश अग्रणी रहा। अन्य राज्यों ने हमारा अनुसरण किया। हम देवी अहिल्याबाई होल्कर के आदर्शों को आत्मसात करके नारी सशक्तिकरण की तरफ बढ़े। पुरूषों के साथ महिलाओं को भी स्वामित्व योजना के अंतर्गत स्वामित्व पत्र जारी किए। स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देकर नारी स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाकर अपने कर्तव्य का पालन किया। अहिल्याबाई होल्कर के आदर्शों, मूल्यों को दस साल की सरकार में नीतियों के माध्यम से लागू करने का साहस किया, तो सुखद अनूभूति होती है। परिवार पहचान पत्र में जब मुखिया के कॉलम में अधिकांश महिलाओं का नाम दिखाई देता है तो महसूस होता है कि देवी अहिल्याबाई के संघर्ष को सम्मान देने का काम किया गया है। हमारा विश्वास समभाव और सदभाव से सरकार चलाने में रहा है। भेदभाव हमारे शब्दकोष में नहीं है। यही कारण है कि पिछले दस साल की सरकार में लोगों में सामाजिक सुरक्षा की भावना बढ़ी है।
मनोहर लाल ने कहा है कि 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी गाँव (अहमदनगर ज़िला) में एक साधारण कृषक परिवार में जन्म लेने वाली देवी अहिल्याबाई होल्कर तत्कालिक परिस्थितियों में इस देश को जीवन के मूल्य सीखा गईं। मंकोजी राव शिंदे की पुत्री बचपन से ही अत्यंत बुद्धिमान, धार्मिक और संवेदनशील थीं, जिसका हम सबको अनुसरण करना चाहिए। मात्र 10 वर्ष की आयु में उनका विवाह मालवा के शासक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव होल्कर से हुआ था। इतनी छोटी उम्र में विवाह के बावजूद भी उनका समाजिक कार्यों के प्रति समर्पण और उनकी नीति हमें शासन के नियम सिखाती है।
उन्होंने कहा कि विपरित परिस्थितियों में भी जीवन का रास्ता निकल सकता है, यह बात उनके जीवन से हमें सीखने का मिलती है, क्योंकि जब उनके पति खंडेराव की मृत्यु युद्ध के दौरान हो गई और कुछ समय पश्चात ही उनके ससुर मल्हारराव और युवा पुत्र मालेराव का भी देहांत हो गया, तब भी अहिल्याबाई ने हार नहीं मानी और लगातार अपने संधर्ष से बेहतर परिस्थितियों का निर्माण किया। उन्होने केवल अपने को ही नहीं संभाला बल्कि अपने को इस काबिल बनाया कि समाज उत्थान के भी कार्य कर सके। आज के दौर में युवाओं, छात्राओं, महिलाओं और पुरूषों के लिए भी यह प्रेरणादायक है। कष्ट झेलें, पर टूटना नहीं, परिस्थितियां चाहे जितनी प्रतिकूल हों, पर मुड़ना नहीं। पूर्व सीएम ने कहा कि 1767 ईस्वी में उन्होंने इंदौर राज्य की बागडोर अपने हाथों में ली। एक नारी राज्य का प्रतिनिधित्व इतनी कुशलता से कर सकती है, देवी अहिल्याबाई ने यह साबित करके दिखाया।