पाकिस्तान (Pakistan) ने अफगान शरणार्थियों ( Afghan Refugees) को जबरन देश से निकालना शुरू कर दिया है। 17 लाख से ज्यादा अफगान शरणार्थी (More than 17 lakh Afghan refugees) घर छोड़ने को मजबूर (forced to leave home) हो जाएं, इसके लिए क्रूरता की हदें पार (crossing the limits of cruelty) करते हुए इन लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं, उनसे पैसे छीने जा रहे हैं और गिरफ्तारी का डर दिखाया जा रहा है।
पाकिस्तान ने तीन अक्तूबर को 20 लाख के करीब अफगान शरणार्थियों को चेतावनी दी थी कि वे एक महीने के भीतर पाकिस्तान छोड़ दें। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र, अधिकार समूहों और पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान से आह्वान किया कि लोगों को जबरन निर्वासित न किया जाए। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्च आयोग (यूएनएससीआर) के मुताबिक, पाकिस्तान में करीब 40 लाख अफगान शरणार्थी हैं। इनमें से 20 लाख से ज्यादा करीब 40 वर्ष से पाकिस्तान में ही रह रहे हैं, जिनमें से कई का तो जन्म भी वहीं हुआ है। करीब 20 लाख 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के दौरान पाकिस्तान आए थे।
खैबर जनजातीय जिले के उपायुक्त अब्दुल नासिर खान के मुताबिक, बुधवार को अफगान तोरखम सीमा से करीब 24,000 लोग अफगानिस्तान में दाखिल हुए। पाकिस्तान सरकार के मुताबिक, बुधवार तक दो लाख से ज्यादा अफगान स्वेच्छा से देश छोड़कर चले गए हैं। इसके अलावा करीब तीन लाख अफगान शरणार्थी सीमा पर जुटे हैं। जर्नलिस्ट वी नाम के एक हैंडल से एक्स पर पोस्ट किए वीडियो में पाकिस्तान से अफगानिस्तान पहुंचा एक शख्स रोते हुए बता रहा है कि सीमा पार करने के दौरान पाकिस्तानी पुलिस ने उनसे 50 हजार पाकिस्तानी रुपये छीन लिए। पुलिस का कहना है कि वे पाकिस्तानी मुद्रा को अफगानिस्तान नहीं ले जा सकते।
मुस्लिमों के हिमायती मुल्क चुप
शरणार्थियों का कहना है कि इस्लाम और मुस्लिमों के हिमायती मुल्क ही जब पाकिस्तान की क्रूरता पर चुप हैं, तो दुनिया के दूसरे देशों से उनपर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने की उम्मीद ही नहीं की जा सकती है। दरअसल पाकिस्तान खुद उन देशों शामिल है, जो भारत में रोहिंग्या घुसपैठियों के निर्वासन पर खूब शोर मचाता रहा है। इसके अलावा पाकिस्तान ने रोहिंग्या निर्वासन को इस्लाम से भी जोड़ दिया था। लेकिन, अब एक इस्लामी देश होने के बावजूद पाकिस्तान अफगानी मुस्लिमों को जबरन देश से बाहर कर रहा है। कमोबेश यही हाल गाजा के लोगों का है।
पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने हजारों लोगों के घरों को बुलडोजरों से जमींदोज कर दिया है। ये लोग मलबे में से जरूरी सामान निकालकर बदहवासी में पाकिस्तान छोड़ रहे हैं। वहीं, सीमा पर भी कई किलोमीटर लंबी कतार लगी है, जहां लोग भूखे-प्यासे खुले आसमान के नीचे पड़े हैं। नवजात बच्चों को भी दूध और पानी नहीं मिल पा रहा है।
अफगानों को इसलिए भगा रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान का दावा है कि देशभर में पिछले कुछ समय में बड़े आत्मघाती धमाकों के पीछे अफगान शरणार्थी हैं। हालांकि, ये ज्यादातर लोग वही हैं, जो अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान आए थे। पाकिस्तान को अकेले अमेरिका से इन शरणार्थियों की मदद के नाम पर 2,273 करोड़ रुपये (27.3 करोड़ डॉलर) से ज्यादा की रकम मिली है।
क्यों नहीं स्वीकारना चाहता तालिबान
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्च आयोग के मुताबिक तालिबान के कब्जे के बाद करीब 20 लाख अफगान पाकिस्तान भागकर आए। तालिबान इन लोगों को अपने खिलाफ मानता है। यही वजह है कि इन्हें वापस आने नहीं देना चाहता। हालांकि, तालिबान की दलील यह है कि, ये लोग कई दशक से बाहर रह रहे हैं। उन्हें जबरन लौटने पर मजबूर न किया जाए।
क्यों आमने-सामने पाकिस्तान-तालिबान
विल्सन सेंटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने तालिबान और आतंक को खत्म करने के नाम पर अमेरिका से 3,200 करोड़ डॉलर की रकम ली और चुपचाप तालिबान को मदद करता रहा। उसे उम्मीद थी कि वह अफगानिस्तान को अपना उपनिवेश बना लेगा, लेकिन तालिबान ने पाकिस्तानी नियंत्रण स्वीकारने से इन्कार कर दिया।