उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में विधानसभा चुनाव (UP Elections-2022) होने हैं और ये चुनाव राज्य की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए अहम है. क्योंकि राज्य में बीजेपी सत्ता में हैं और उस पर पिछले प्रदर्शन दोहराने का दबाव भी है. वहीं राज्य में अन्य सियासी दल बीजेपी को सत्ता से हटाने अपने किले को दुरूस्त करे में जुटे हैं. लेकिन अब बीजेपी ने राज्य में स्थानीय स्तर पर अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए बड़ा प्लान तैयार किया है. इसके तहत अब पार्टी जातिगत वार सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन जिला स्तर पर करेगी. हालांकि अभी तक ये सम्मेलन प्रदेश स्तर पर किए जाते थे.
फिलहाल बीजेपी अब जिलों में जातिगत समीकरण को साधने की रणनीति पर काम कर रही है और इसके तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों में पिछड़ों और दलितों के सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. इन सम्मेलनों में पार्टी जिलों की पिछड़ी और दलित जातियों के प्रमुख चेहरों को एक मंच पर लाएगी और अपने पक्ष में माहौल बनाएगी. वहीं इन सम्मेलनों की तैयारियों को लेकर प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल ने ओबीसी और अनुसूचित मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक की और प्लान तैयार किया.
हर सम्मेलन में जुटाए जाएंगे दस हजार लोग
फिलहाल आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहती है और वह सभी वर्ग को लुभाने की कोशिश में है. वहीं पार्टी जिला स्तर पर सम्मेलन आयोजित कर रही है. जानकारी के मुताबिक पार्टी 15 से 21 दिसंबर तक प्रदेश के सभी जिलों में पिछड़ी जातियों का सम्मेलन आयोजित करेगी और इन सम्मेलनों में दस हजार लोगों को जुटाया जाएगा और समाज के बड़े लोगों को सम्मान दिया जाएगा. इन सम्मेलनों के जरिए पार्टी सरकार द्वारा ओबीसी और एससी वर्ग के लिए किए गए कार्यों का लेखा जोखा भी बताएगी.
संगठन के पदाधिकारियों को नहीं मिलेगा टिकट
वगीं अनुसूचित मोर्चा की बैठक में एक बार फिर संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने साफ कर दिया कि जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं. उन्हें पद छोड़ने होंगे. क्योंकि पार्टी ने तय किया है कि जिन लोगों के पास संगठन के पद हैं. उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा.