प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कैबिनेट विस्तार के साथ भविष्य की बुनियाद भी दिखने लगी है। बुधवार को 43 मंत्रियों ने शपथ ली जिसमें सबसे ज्यादा सात उत्तर प्रदेश और फिर गुजरात और कर्नाटक से पांच मंत्रियों को शामिल किया गया है। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से 4, बिहार से 3 मंत्री हैं। मध्यप्रदेश, असम और ओडिशा से 2-2 मंत्री टीम मोदी का हिस्सा हैं। इस विस्तार के साथ ही मोदी मंत्रिमंडल में जातिगत समीकरण साधने की कोशिश हुई है। पिछड़ी जाति के नेताओं का खास ख्याल रखा गया है। 15 राज्यों से 27 पिछड़ी जाति के मंत्री है। 8 राज्यों से 12 दलित मंत्री, 8 राज्यों से 8 आदिवासी मंत्री, 5 राज्यों से 5 अल्पसंख्यक मंत्रियों को स्थान मिला है। विस्तार से पहले मोदी कैबिनेट की औसत उम्र 61 साल थी जो अब घटकर 58 हो गई है। इस नये मंत्रिमंडल में 14 मंत्री ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल से कम हैं। इनमें से 6 को कैबिनेट का दर्जा मिला है। 46 मंत्री ऐसे हैं जो पहले केंद्र में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इस नये मंत्रिमंडल में 23 मंत्री कम से कम तीन बार सदस्य रहकर 10 साल तक संसदीय कामकाज का अनुभव रखते हैं।
मोदी कैबिनेट से पुराने चेहरे को हटाकर नए और युवा चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करना, भविष्य की तैयारी है। बीजेपी भविष्य के लिए लीडरशिप तैयार कर रही है। मोदी कैबिनेट में पहली बार जीतकर आए एक दर्जन युवा नेताओं को कैबिनेट में जगह दी है। पश्चिम बंगाल में चार चेहरो को शामिल किया है, जिनमें दो मंत्री ऐसे है जिनकी उम्र 40 साल से कम है। बंगाल के नीषिथ प्रमाणिक सबसे कम उम्र के मंत्री हैं और वो महज 35 साल के हैं। बंगाल के ही शांतनु ठाकुर की उम्र 38 साल है। तमिलनाडु से एल मुर्गन को जगह दी गई है, जिनकी उम्र 44 साल है। महाराष्ट्र की डॉ. भारती प्रवीण पवार को राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया है, जिनकी उम्र 42 साल है। प्रमोशन से कैबिनेट मंत्री बनने वाले अनुराग ठाकुर की उम्र 46 साल, मनसुख मांडविया की उम्र 49 साल और किरण रिजिजू की भी उम्र 49 साल है।
60 के पार के हटाये गये मंत्री
फेरबदल में हटाए गए ज्यादातर मंत्रियों की उम्र 60 से ऊपर थी। हर्षवर्धन (66), रविशंकर प्रसाद (66), प्रकाश जावड़ेकर (70), डी.वी. सदानंद गौड़ा (68), संजय शामराव धोत्रे (62), संतोष गंगवार (72), रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ (61), थावरचंद गहलोत (73) और रतन लाल कटारिया (69) शामिल हैं।