रिपोर्ट : जितेंद्र तिवारी स्वतंत्र पत्रकार बाराबंकी –कै बड़कउ सुना है अब फलाने प्रधानी न लड़ पइहें.. आंय यू काहे छोटका ? तबतक बगल मा बैठ छोटका केर लरिका तपाक से बोल परा अरे काका सीट पिछड़ी होइगे तो फ़लाने कैसे लड़िहै। अच्छा बेटवा पता करित है देखौ! बड़कऊ झरर से फ़लाने का फोन लगाईन… हलौ का प्रधान भैया सुना है सीट बदल गय। अरे राम राम सब मेहनते ससुरी डाँड़ होइगै।
तबतक बगल से आवाज आई काका पायलागी हमार मदद करो अब हम प्रधानी मा ठाड़ होय रहिन है। बहुत दिन बाद हमरो सीट आई है बड़े बाबा की किरपा से तो सोचित है लड़ जाइ प्रधानी कै काका का कहत हो। हा बेटवा लड़ो वोट स्पोट दूनो रही। लेकिन सुना तुमरे बगलों वाले ठाड़ होइ रहे है। लेकिन का करेका हम खुलब न वॉट तुमहिंन का देबे। अच्छा भौजी पायलगी ध्यान राखेव। आरक्षण की उठापटक ज्यों ही समाप्त हुई वैसे ही नई उमीदवारों की दंडवत आरम्भ हो गई।