कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच सबसे बड़ी चुनौती इसकी जांच को लेकर आई थी। जांच किट की कमी के साथ-साथ यह काफी महंगी भी पड़ती थी। हालांकि, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अथक प्रयासों से किटें भी सस्ती आने लगी हैं और इसकी जांच की क्षमता भी बढ़ गई है, लेकिन टेस्ट रिपोर्ट में देरी और जांच की सटीकता को लेकर अभी भी समस्या बनी हुई है।
इस बीच, इस्रायल की बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी से एक अच्छी खबर आई है। वहां के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल कोरोना जांच किट बनाई है जो एक मिनट में रिजल्ट बता देती है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह किट 90 फीसदी तक सटीक परिणाम देती है।
इस किट से कोरोना की जांच के लिए नाक, गले और फूंक से सैंपल लिया जाता है।इससे पता चल जाता है कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या नहीं। बिना लक्षण के भी कोई संक्रमित है तो उसका भी पता चल जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस जांच किट में एक खास तरह के सेंसर का प्रयोग किया गया है जो इस वायरस की पहचान करता है।
इस टेस्ट किट में जब कोई व्यक्ति अपनी सांस फूंकता है और अगर वह संक्रमित हुआ तो उसके ड्रॉपलेट्स के जरिए वायरस सेंसर तक पहुंचते हैं। इसी सेंसर से एक क्लाउड सिस्टम जुड़ा रहता है। सेंसर सिस्टम का विश्लेषण करके पता चलता है कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या निगेटिव।
लैब की भी जरूरत नहीं
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस टेस्ट किट की कीमत दूसरे पीसीआर टेस्ट से कम है। एक टेस्ट किट की कीमत महज 3800 रुपये हैं। खास बात यह है कि इसके लिए लैब की भी जरूरत नहीं है। यह टेस्ट कहीं भी किया जा सकता है। यह किट खासकर एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन जैसी जगहों पर रैपिड टेस्टिंग की जरूरत पूरी कर सकती है।
रिपोर्ट आने में नहीं होगी देर
शोधकर्ता प्रो. सारुसि के मुताबिक, कोरोना वायरस के कण नैनो पार्टिकल की तरह होते हैं, जिनका आकार 100 से 140 नैनोमीटर होता है। अबतक उपलब्ध पीसीआर किट वायरस के आरएनए और डीएनए को पहचानकर रिपोर्ट देती है और ऐसा करने में घंटो लग जाते हैं। वहीं, इस टेस्ट किट में एक मिनट के अंदर रिपोर्ट पता चल जाती है।
एफडीए से अनुमति का इंतजार
प्रो. सारुसि के मुताबिक इस टेस्ट किट के ट्रायल की शुरुआत से ही बेहतर परिणाम मिले हैं। इसमें कम समय में अधिक मरीजों की जांच किए जाने की क्षमता है। फिलहाल फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से अप्रूवल की तैयारी की रही जा है।