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प्रशांत किशोर की हालत में सुधार, आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट; पीके के वकील उतरे मैदान में

जन सुराज पार्टी (JSP) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) 2 जनवरी से अब तक आमरण अनशन (Hunger Strike) पर हैं। इस बीच उनकी तबियत बिगड़ने पर उन्हें पटना के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) के ICU वार्ड में भर्ती कराया गया था। आज उनके अनशन का 8वां दिन है। हालांकि प्रशांत किशोर के समर्थकों के लिए अच्छी खबर है। उनके स्वास्थ्य में अब काफी सुधार हुआ है। इस सुधार के बाद उन्हें आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। सुधार होने की वजह उन्हें दिया जाने वाला विशेष दवा का असर है। उन्हें चिकित्सकों के द्वारा सामान्य भोजन और निर्धारित दवाओं का पालन करने की सलाह दी गई है, लेकिन वह नियमित भोजन और दवा लेने के लिए इनकार कर रहे हैं। फ़िलहाल क्लिनिकल टीम उनके साथ बनी हुई है, जो प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य का ख्याल रख रही है। गुरूवार को प्रशांत किशोर के वकील अमित कुमार सबके सामने हैं। उन्होंने बिहार सरकार को पांच बिंदुओं पर घेरने की कोशिश की है।

बिना कागज के भेज रहे थे जेल
अधिवक्ता अमित कुमार ने कहा है कि यह आश्चर्यजनक है कि जब प्रशांत किशोर को कोर्ट परिसर से निकाला गया और बेऊर जेल की ओर ले जाया गया तब कोर्ट के अंदर सुनवाई चल ही रही थी। बिना कस्टडी के कागज लिए इन्होंने प्रशांत किशोर को बेऊर जेल ले जाना चाहा। हालांकि जेल अधीक्षक ने बिना कस्टडी कागज के उन्हें अंदर रखने से मना कर दिया।

अनशनकारियों पर लगाया हथियार रखने का आरोप
प्रशांत किशोर और BPSC छात्रों के साथ अनशन करने वाले लोगों पर गांधी मूर्ति के नीचे हथियार रखने का आरोप लगाया गया है। अधिवक्ता अमित कुमार ने कहा कि क्या बिहार सरकार कंबल और मफलर को हथियार मानती है?

गलत धारा लगाने का है आरोप
अधिवक्ता अमित कुमार ने बताया कि जिन धाराओं पर केस दर्ज किया गया है वह चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा कि बीएनएस धारा 190, 191 (2), (3) और 223 सभी के सभी जमानती धाराएं हैं, लेकिन ये हास्यास्पद है कि 191(3) यह धारा दंगा करने का दोषी, यह घातक हथियार रखने पर लगाया जाता है। वहां पर किसी बच्चे के हाथ में एक छड़ी तक नहीं थी, कंबल और मफलर को बिहार पुलिस हथियार मानती है तो बिहार पुलिस गजब है। अधिवक्ता अमित कुमार ने कहा कि यह सत्याग्रह था, यह किस तरह से उपद्रवी हो गया।

कोर्ट ने रखी थी शर्त
अधिवक्ता अमित कुमार ने बताया कि कोर्ट ने पहले शर्त रखा था। फिर हमने कहा कि जब सारे जमानती धाराएं हैं जिसके अनुसार थाना से ही बेल मिल सकता था, फिर आप शर्त क्यों रख रही हैं? तब कोर्ट ने प्रशांत किशोर को PR बॉन्ड पर ही जमानत दे दिया, जिसकी 4 शर्त हैं। पहले कोर्ट ने एक शर्त लगाया था कि प्रशांत किशोर किसी धरना प्रदर्शन में शामिल नहीं होंगे, जिसे बाद में हटा दिया गया। अधिवक्ता अमित कुमार ने प्रशांत किशोर के जमानती PR बॉन्ड में लिखे हुए 4 पॉइंट्स बताए और कहा कि अब आप ही तय कीजिए कि यह तथ्य है या शर्त ?

1. मैं इस केस में अभियुक्त हूं।
2. इस कोर्ट के द्वारा मुझे जमानत पर मुक्त्त किया जा रहा है।
3. मैं पुलिस का सहयोग करूंगा अगर ट्रायल चलेगा तो मैं कोर्ट में अपीयर हूंगा।
4. अगर मैं ट्रायल नहीं फेस करूंगा और सहयोग नहीं करूंगा तो 25000 रुपया देना होगा।

पुलिस पर उठाये सवाल
अधिवक्ता अमित कुमार का कहना है कि प्राथमिकी गांधी मैदान थाना में दर्ज किया गया था, लेकिन प्रशांत किशोर को गांधी मैदान थाना में नहीं ले जाया गया। पुलिस उन्हें बेऊर जेल ले गई। इतना ही नहीं जब भीड़ नहीं संभाली गई तो माइक प्रशांत किशोर को ही थमा दिया गया, उसके लिए अपने एक और FIR कर दिया। अधिवक्ता अमित कुमार ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार यह क्यों नहीं बताती है कि उसकी पुलिस किस ऑथोरिटी से उन्हें बेऊर जेल लेकर गई। हमें पुलिस के द्वारा कोई कागज नहीं दिया गया। पुलिस ने सिर्फ झूठ का पुलिंदा बनाया है।