रूस (Russia) परमाणु हमले (nuclear attack) के विकल्प पर विचार कर रहा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) ने पश्चिम को चेतावनी दी है कि हवाई हमलों (Air strikes) के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए परमाणु के इस्तेमाल से भी पीछे नहीं हटेंगे। रूस की यह चेतावनी ब्रिटेन (Britain) और अमेरिका (America) द्वारा यूक्रेन (Ukraine) को उसके खिलाफ क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल करने की इजाजत दिए जाने को लेकर मॉस्को में बढ़ती चिंताओं के बीच आई है।
राष्ट्रपति पुतिन ने आज परमाणु निरोध पर चर्चा के लिए मॉस्को की शीर्ष सुरक्षा परिषद के साथ तत्काल बैठक की। इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने पश्चिम को चेतावनी जारी की कि रूस हवाई हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए परमाणु इस्तेमाल से भी पीछे नहीं हटेगा।
पिछले हफ्ते ब्रिटेन ने कथित तौर पर रूस पर बमबारी करने के लिए अपनी ‘स्टॉर्म शैडो’ क्रूज मिसाइल के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी थी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाडन से मिलने के लिए वाशिंगटन डीसी भी गए। कथित तौर पर दोनों नेताओं ने यूक्रेन द्वारा रूसी धरती पर हथियारों के इस्तेमाल पर चर्चा की।
रूसी खुफिया विभाग की रिपोर्टों के बाद, राष्ट्रपति पुतिन ने इस महीने कहा था कि अगर पश्चिम यूक्रेन को क्रूज मिसाइल के इस्तेमाल की अनुमति देता है तो वह सीधे तौर पर रूस से लड़ेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे परिदृश्य में मॉस्को को उचित निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
रूस का परमाणु सिद्धांत और अमेरिका के साथ संधि
रूस दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्ति है। रूस और अमेरिका के पास दुनिया के 88% परमाणु हथियार हैं। रूस का वर्तमान परमाणु सिद्धांत यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने से पहले व्लादिमीर पुतिल द्वारा चार साल पहले स्थापित किया गया था। वर्तमान सिद्धांत के अनुसार, रूस उस स्थिति में परमाणु हथियारों का उपयोग कर सकता है, जहां उस पर परमाणु हमला हो या पारंपरिक हमले से राज्य के अस्तित्व को खतरा हो।
अमेरिका और रूस के बीच एक परमाणु संधि है, जिसे यूएस-रूस न्यू स्टार्ट संधि कहा जाता है। जो 5 फरवरी, 2011 को लागू हुई। संधि के तहत, अमेरिका और रूसी संघ के पास रणनीतिक आक्रामक हथियारों पर संधि की केंद्रीय सीमाओं को पूरा करने के लिए पांच फरवरी, 2018 तक सात साल का समय था। और जब तक संधि लागू रहेगी, तब तक वे उन सीमाओं को बनाए रखने के लिए बाध्य हैं।
29 महीने के संघर्ष में तीन लाख से अधिक हताहत
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच बीते 29 महीने से संघर्ष जारी है। फरवरी, 2022 में शुरू हुई रूस की विशेष सैन्य कार्रवाई के बाद टकराव लगातार बढ़ता गया और अब तक 1.20 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। लगभग 1.80 लाख से अधिक लोग दोनों देशों के टकराव में घायल भी हुए हैं। भारत समेत दुनिया के कई देश दोनों देशों का संघर्ष समाप्त कराने के अलग-अलग पहलुओं पर विचार कर रहे हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी युद्ध का विकल्प छोड़कर शांति की राह चुनने की अपील की है।