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हरियाणा जीतने के लिए BJP की मास्टरमाइंड प्लानिंग, रणनीति जानकर उड़ जायेगी विरोधियों की नींद

हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Vidhansabha Chunav) के लिए 1 अक्टूबर को मतदान और 4 अक्टूबर को परिणाम घोषित होगा. चुनाव आयोग द्वारा शेड्यूल जारी करने के बाद हरियाणा में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. सूबे की सत्ता में लगातार दो योजना से काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उम्मीदवार चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है. लोकसभा चुनावों में 5 सीटों पर हार के बाद बीजेपी बदली परिस्थितियों में नई रणनीति के साथ चुनावी रण में ताल ठोकेंगी.

BJP

अपने स्टैंड में बदलाव करेगी BJP

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में कई बार वंशवाद और जातिवाद को दीमक की तरह बताते रहे हैं. 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर धरा से अपने संबोधन में उन्होंने वंशवाद पर हमला बोलते हुए 1 लाख ऐसे नौजवानों को राजनीति में लाने का आह्वान किया था जिनके परिवार से कभी कोई राजनीति में नहीं रहा हो, लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनाव में BJP अपने इस स्टैंड में बदलाव कर सकती हैं. यहां केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, कृष्ण पाल गुर्जर सहित अन्य कई वरिष्ठ नेता अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं.

कठिन डगर से रणनीति में बदलाव

हरियाणा में बीजेपी ने वंशवाद को आधार बनाते हुए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में सफलता पाई है. वंशवाद को लेकर पार्टी ने चौटाला और हुड्डा परिवार पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. बीजेपी यहां नेताओं के परिजनों और रिश्तेदारों को टिकट देने से गुरेज करती रही है, लेकिन इस बार कठिन डगर को देखते हुए रणनीति में बदलाव पर विचार किया जा रहा है.

हालिया लोकसभा चुनावों में भी पार्टी के लिए रिजल्ट उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था. ऐसे में बीजेपी हर रणनीति में बदलाव कर जिताऊ चेहरों को चुनावी रण में उतारना चाहती है, भले ही वो किसी नेता के परिजन या फिर रिश्तेदार ही क्यों न हो.

नई रणनीति से तीसरी बार सत्ता हासिल करने की उम्मीद

हरियाणा में भाजपा का फोकस गैर जाट वोटर्स पर रहा है. लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए पार्टी नए समीकरण गड़ रही है. किरण चौधरी को BJP में ज्वाइन कराना या फिर कई अन्य फसलों पर भी MSP देने पर कैबिनेट की मुहर, ये सब इसी रणनीति का हिस्सा बताए जा रहे हैं. बीजेपी ने अब बड़े वोट-बैंक की बजाय छोटे- छोटे वोटबैंक पर फोकस कर दिया है.

बीजेपी नेताओं को लगता है कि भुपेंद्र हुड्डा पर कांग्रेस की अति निर्भरता की वजह से अगर गैर जाट वोटर्स लामबंद हुए, किरण चौधरी की वजह से जाट वोटर्स का एक छोटा हिस्सा भी पार्टी के साथ आया और किसानों का एक छोटा वर्ग भी पार्टी के साथ खड़ा हुआ तो लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने का रास्ता आसान हो जाएगा.

सीट- टू- सीट मार्किंग

प्रेसिडेंशियल स्टाइल में चुनाव लड़ने की इमेज वाली BJP इस बार हरियाणा में सीट- टू- सीट मार्किंग करने में जुटी है. एक-एक सीट के लिए जिताऊ चेहरों का पैनल तैयार करने के साथ ही इस बात पर भी फोकस किया जा रहा है कि किस सीट पर कौन से फैक्टर निर्णायक हो सकते हैं और कहां- कैसे माहौल को अपने अनुकूल बनाया जाए. प्रत्याशियों को प्रचार और जनसंपर्क के लिए ज्यादा समय मिल सकें, इसके लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जल्द ही जारी हो सकती है. वहीं, 10 साल की एंटी इनकंबेंसी से निपटने के लिए आधे से ज्यादा विधायकों की टिकट कट सकती है.