राम जन्मभूमि परिसर (Ram Janmabhoomi complex) में भव्य राममंदिर (Grand Ram temple) के साथ एक शिव मंदिर का भी निर्माण (Shiva temple construction) हो रहा है। खुले आसमान में सदियों से रह रहे भगवान शिव को भी रामलला के साथ स्थायी छत मिल गई है। यह मंदिर कुबेर टीले पर है। पीएम मोदी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर कुबेर टीले पर शिव मंदिर में भी जा सकते हैं।
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में एक कुबेर टीला है। इसी टीले पर यह प्राचीन शिव मंदिर है। बताया जाता है कि शिव मंदिर की दीवारें ढाई फुट चौड़ी और लगभग 5 फुट ऊंची थीं। एक बड़ा और एक छोटा दरवाजा था, छत नहीं थी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इसका भी पुनरुद्धार करा रहा है। इसकी ड्राइंग एवं डिजाइन टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लि. ने तैयार की है और बतौर कॉन्ट्रैक्टर एलएंडटी काम कर रही है। यहां पुरानी दीवारें हटाकर नीचे कंक्रीट का एक नया ढांचा खड़ा किया गया। ऊपर उसमें लोहे के कॉलम लगाए गए। उसके ऊपर एक बढ़िया ढांचा खड़ाकर जीआरसी मैटेरियल लगाकर भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। भगवान के शिवलिंग और नंदी को सुरक्षित बचाकर यह काम किया जा रहा है। इस मंदिर का काम भी अंतिम चरण में है। श्रीरामलला के दर्शन के बाद भक्त यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए भी आ सकेंगे।
रामलला के पास भगवान शिव और कुबेर स्थायी वासी :
यह टीला भगवान शिव व धनपति कुबेर के स्थायी वासस्थल के रूप में मान्य है। श्री रुद्रायामल में अयोध्या महात्मा खंड के अंतर्गत भगवती पार्वती और भगवान शंकर के संवाद में जिन प्रमुख तीर्थों की चर्चा हुई है, उनमें रामकोट क्षेत्र के अंदर श्रीराम जन्मभूमि समेत अन्य प्रमुख 43 पौराणिक स्थल शामिल हैं। इनमें कुबेर टीला भी है। इसे प्राचीन परंपरा में श्री नवरत्न कहा गया है। कुबेर टीला पर ही प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। मान्यता है कि महादेव अनादि काल से श्रीराम जन्मस्थान के समीप उसी तरह उपस्थित हैं, जिस तरह ब्रह्मा जी ने श्रीराम के आगमन पर ब्रह्मकुंड में आकर निवास किया। मान्यता यह भी है कि कुबेर टीले पर श्री कुबेर वैभव और धन-धान्य के प्रतीक रूप में श्रीविष्णु के अवतार श्रीराम के राज्य अयोध्या में उनके सेवक के रूप में विराजमान हैं।
जियोसेल मैटेरियल से रक्षित होगा कुबेर टीला
राम और शिव मंदिर के साथ कुबेर टीले के संरक्षण के लिए भी निर्माण कार्य चल रहा है। इस टीले का संरक्षण खास तरह के जियोसेल मैटेरियल से किया जा रहा है, ताकि बारिश में मिट्टी का बहाव न हो पाए और टीला लंबे समय तक सुरक्षित रहे। जियोसेल के बैक्टीरिया के जरिये उसे तीन तरफ से रोककर सुरक्षित किया जा रहा है। चौथे ओर से आने-जाने का रास्ता होगा। टीले पर जाने के लिए स्लोप ज्यादा है। राम मंदिर के दाहिने ओर जहां से शिव मंदिर के लिए चढ़ेंगे, लगभग मध्य में तांबे के बने जटायु को स्थान दिया गया है। जटायु 22 फुट लंबे और 8 फुट ऊंचे हैं। जटायु को प्रसिद्ध मूर्तिकार डॉ. अनिल रामसुतार ने बनाया है। इन्होंने ही लता मंगेशकर चौक पर वीणा बनाई है।
टीले पर नयनाभिराम हरियाली का दृश्य होगा। यह काम जीएमआर कंपनी कर रही है। भगवान शंकर के मंदिर के पास रुद्राक्ष के पेड़ लगाए गए हैं। जटायु का मुंह भगवान के मंदिर की ओर कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी राम मंदिर के साथ शिव मंदिर का भी दर्शन करने जा सकते हैं।