राजस्थान में चुनावों का बिगुल बजने से पहले ही चुनावी हलचल तेज हो गई है जहां सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के दो बड़े नेता कमर कस चुके हैं. राज्य के सीएम अशोक गहलोत जहां चिंतन शिविर कर रहे हैं वहीं विधानसभा के बजट सत्र से पहले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट एक बार फिर सियासी हवा भांपने के लिए जमीन पर उतर रहे हैं. पायलट की आज से पूरे प्रदेश भर में अगले 5 दिन सभाएं होने जा रही है जिन्हें किसान सम्मेलन नाम दिया गया है. सचिन पायलट सोमवार को नागौर के परबतसर में पहली सभा करेंगे जहां दोपहर 12 बजे से लेकर रात 10 बजे तक कार्यक्रम बताया गया है. वहीं इसके बाद पायलट की हनुमानगढ़, झुंझुनूं ,पाली और जयपुर में भी जनसभाएं होनी है. बता दें कि प्रदेश कांग्रेस के हाथ से हाथ मिलाओ अभियान के समानांतर आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए पायलट एकला चलो री नीति के तहत अपने समर्थकों के साथ निकल गए हैं.
वहीं पायलट ने हाल में राहुल गांधी से भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पंजाब में मुलाकात की थी जिसके बाद ही पायलट ने सूबे में सभाओं का कार्यक्रम जारी किया ऐसे में माना जा रहा है कि पायलट की आने वाले दिनों में होने वाली सभाएं कई मायनों में अहम हो सकती है. जानकारों का कहना है कि पायलट इन सभाओं को अगले चुनाव से पहले खुद को सीएम उम्मीदवार घोषित कराने की कोशिश के तौर पर भी देख रहे हैं.
‘अकेले’ फील्ड में उतरे पायलट
पायलट की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक 16 जनवरी को पायलट नागौर के परबतसर से सभाओं की शुरुआत करने जा रहे हैं जिसे किसान सम्मेलन नाम दिया गया है. वहीं इसके बाद 17 जनवरी को हनुमानगढ़ के पीलीबंगा में पायलट की सभा है और 18 जनवरी को झुंझुनूं के गुढ़ा, 19 जनवरी को पाली के सादड़ी में पायलट किसान सम्मेलन करेंगे. वहीं 20 जनवरी को जयपुर के महाराजा कॉलेज में पायलट की सभा रखी गई है.
जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट के फील्ड में उतरने और सभाएं करने की टाइमिंग अहम है जहां सीएम अशोक गहलोत 16 और 17 जनवरी को जयपुर में सरकार के चार साल के कामकाज और 2023 की रणनीति पर चिंतन शिविर कर रहे हैं वहीं बजट सत्र से ठीक पहले पायलट सभा कर पांच जिलों में उतर रहे है जहां पायलट समर्थकों में जबरदस्त जोश देखने को मिल रहा है.
शेखावाटी से बजाएंगे 2023 का बिगुल
मालूम हो कि हाल में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दौसा और कोटा जिले में कई विधायकों और समर्थकों ने सचिन पायलट को अगला मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा जाहिर की थी जिसके बाद राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं होने लगी. इसके अलावा राजस्थान का शेखावटी इलाका जाट बहुल है जहां जाट वोटर्स की करीब 55 विधानसभा सीटों का खेल बिगाड़ते हैं.