दीपावली (diwali ) का प्रसिद्ध पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को मनाया जा रहा है।कहते हैं स्थिर लग्न में महालक्ष्मी (Mahalaxmi) का पूजन करने से स्थायी मां लक्ष्मी घर में निवास करती हैं। आप भी नीचे दिए गए स्थिर लग्न में ही दिवाली का पूजन करें। महागणपति (mahaganapati) , महालक्ष्मी एवं महाकाली की पौराणिक अथवा तांत्रिक विधि से साधना-उपासना का परम पवित्र पर्व दीपावली ,उद्योग-धंधे के साथ-साथ नवीन कार्य करने एवं पुराने व्यापार (old business) में खाता पूजन का विशेष विधान है।
दीपावली कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या (krshn paksh amaavasya) को मनाई जाती है जो इस वर्ष श्री शुभ संवत् 2079 शाके 1944 कार्तिक कृष्ण अमावश्या तिथि 24 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार को विश्वभर में मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार को सायं 5:04 से आरंभ होकर अगले दिन अर्थात 25 अक्टूबर 2022 दिन मंगलवार को सायं 4:35 तक व्याप्त रहेगा। इस प्रकार अमावस्या की सम्पूर्ण रात 24 अक्टूबर को ही मिल रहा है | इसके अतिरिक्त इस अमावस्या तिथि के आरम्भ के साथ दिन में 3:18 बजे से सम्पूर्ण रात चित्रा नक्षत्र तथा दिन में 3:58 के बाद से ही विष्कुम्भ योग पूरी रात व्याप्त रहेगी।
साथ ही सोमवार को ही प्रदोष काल (Pradosh Kaal) का भी बहुत ही उत्तम योग मिल रहा है |धर्म शास्त्रो के अनुसार दीपावली के पूजन में प्रदोष काल अति महत्त्वपूर्ण होता है | दिन-रात के संयोग काल को ही प्रदोष काल कहते है , जहां दिन विष्णु स्वरुप है वहीँ रात माता लक्ष्मी स्वरुपा है ,दोनों के संयोग काल को ही प्रदोष काल कहा जाता है | धर्मशास्त्रोक्त दीपावली ‘ प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल व्यापिनी अमावश्या में विहित है , जिसमे प्रदोष काल का महत्त्व गृहस्थो एवं व्यापारियो हेतु महत्त्वपूर्ण होता है तथा महानिशीथ काल तान्त्रिकों के लिए उपयुक्त होता है |
इस प्रकार प्रदोष काल में ही माता लक्ष्मी भगवान गणेश एवं कुबेर (Lord Ganesh and Kuber) आदि सहित दीपावली पूजन का श्रेष्ठ विधान है तथा प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलित करना उत्तम फल दायक होता है। प्रदोष काल शाम 05:30 से 07:45 बजे तक रहेगा | चर नामक शुभ चौघड़िया प्राप्त होने के कारण श्रेष्ठ है।
अमावस्या तिथि अर्थात दीपावली में स्थिर लग्न* :-
24 अक्टूबर दिन सोमवार को स्थिर लग्न वृष रात में 06:37 से 8:32 बजे तक । जो अति श्रेष्ठ है एवं प्रदोष काल से युक्त है। साथ ही 7:06 बजे तो शुभ चौघड़िया भी है अतः दीप प्रज्वलित करने का श्रेष्ठ मुहुर्त्त।
25 अक्टूबर दिन सोमवार को स्थिर लग्न मध्य रात्रि बाद 01:04 से 3:18 बजे रात तक एवं शुभ चौघड़िया के साथ 1:38 से 3:16 बजे तक ।
24 अक्टूबर दिन मंगलवार को स्थिर लग्न वृश्चिक सुबह 7:51 से 10:05 बजे तक प्राप्त होने के कारण इस समय मे माता लक्ष्मी का पूजन शुभफल दायी होता है | परन्तु सूर्य ग्रहण के कारण पूजन नही हो सकता है।
दीपावली पूजन हेतु शुभ चौघड़िया समय :-
(1) रात में 5:38 बजे से 07:06 बजे तक चर
(2) रात में 10:22 से 12:00 बजे तक लाभ
(3)रात में 1:38 से 3:16 बजे तक शुभ
(4) रात में 3:16 से 4:54 बजे तक अमृत
(5) भोर में 5:54 से 06:30 बजे तक चर
प्रत्येक वर्ष अमावस्या व्यापिनी महानिशिथ काल में तंत्र साधना हेतु महत्वपूर्ण होता है। महानिशीथ काल अर्थात महानिशा काल मध्यरात्रि 11:14 से 12:08 बजे के मध्य है । निशा पूजा ,काली पूजा , तांत्रिक पूजा के लिए शुभ चौघड़िया के साथ मध्य रात में 11:14 से बजे से 12:00 बजे तक है जो अति महत्त्वपूर्ण, अति शुभ एवं कल्याण कारक मुहुर्त्त है। परन्तु स्थिर लग्न सिंह महानिशीथ काल मे प्राप्त नही हो रहा है।
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