कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए देशभर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ऑफिस में 9 हजार डेलिगेट्स (वोटर) वोटिंग कर रहे हैं. चुनाव में जीत का दावा कर रहे शशि थरूर को राजस्थान में कोई पीसीसी मेंबर पोलिंग एजेंट के रूप में नहीं मिला. उसके बाद 6 दूसरे कार्यकर्ताओं को पोलिंग एजेंट बनाया गया है. कांग्रेस संविधान के मुताबिक वोट डालने वाले डेलिगेट्स ही पोलिंग एजेंट होते हैं. मतदान फिजिकल फॉर्मेट में होता है. यानी डेलिगेट्स को बूथ में आकर कागज के मतपत्र से वोट डालना होता है.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए जयपुर पीसीसी में सुबह 10 बजे मतदान शुरू हुआ था. यह शाम को 4 बजे तक चलेगा. इसमें यहां से 413 पीसीसी डेलीगेट्स मतदान करेंगे. इनमें सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, स्पीकर सीपी जोशी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट सहित लगभग सभी मंत्री और विधायक शामिल हैं. राजस्थान के डेलीगेट्स से सीएम गहलोत हाल ही में मल्लिकार्जुन खड़गे के पक्ष में मतदान करने की अपील कर चुके हैं.
थरूर को पोलिंग एजेंट के लिए पीसीसी मेंबर नहीं मिला
कांग्रेस अध्यक्ष पद का मुकाबला मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच है. दिलचस्प तथ्य यह है कि राजस्थान में शशि थरूर को पोलिंग एजेंट के लिए कोई भी पीसीसी मेम्बर ही नहीं मिला. नियमानुसार वोट डालने वाले डेलिगेट्स ही पोलिंग एजेंट होते हैं. पीसीसी मेम्बर नहीं मिलने के बाद 6 दूसरे कार्यकर्ताओं को पोलिंग एजेंट बनाया गया है. जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे के चारों पोलिंग एजेंट पीसीसी डेलीगेट्स हैं. राजनीति गलियारों में चर्चा है कि जिस उम्मीदवार का एजेंट बनने के लिए ही कोई तैयार नहीं हुआ, ऐसे में उस उम्मीदवार को यहां कितने वोट मिलेंगे यह साफ ही है.
राजस्थान में खड़गे को मिलेगी बढ़त!
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मतदान हालांकि पूरी तरह गुप्त रहेगा, लेकिन राजस्थान से मल्लिकार्जुन खड़गे की एकतरफा बढ़त मिलना तय माना जा रहा है. काबिले गौर है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार साल 1998 में वोटिंग हुई थी. तब सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को हराया था. सोनिया गांधी को तब करीब 7,448 वोट मिले, जबकि जितेंद्र प्रसाद 94 वोटों पर ही सिमट गए. सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने पर गांधी परिवार को कभी कोई चुनौती नहीं मिली. अब 24 साल बाद गांधी परिवार के अलावा कोई कांग्रेसी अध्यक्ष बनेगा.