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रॉन्ग नंबर से कॉल… दोस्ती… फिर प्यार… ISI की हसीनाओं के जाल में ऐसे फंसते हैं भारतीय सेना के जवान

भारतीय सेना (Indian Army) के एक जवान के पास एक कॉल आती है. कॉल एक लड़की करती है. बाद में ये कॉल वीडियो कॉल (Video call) में तब्दील हो जाती है. बातचीत रॉन्ग नंबर से शुरू होती है और बाद में सबकुछ राइट हो जाता है. दोनों तरफ से फोन पर खूब बातें होने लगती हैं. खासकर लड़की बड़े अपनेपन के साथ बात करती है. लेकिन एक दिन अचानक एक ऐसा खुलासा होता है, जिसे जानकार उस जवान के होश उड़ जाते हैं.

उन लड़कियों की अदाओं में साज़िश छुपी है. उनकी ख़ूबसूरती में चालाकी है. और इस साज़िश को समझने में ज़रा भी चूक करना बहुत भारी पड़ सकता है. क्योंकि वे लड़कियां मामूली लड़कियां नहीं हैं, बल्कि वे कुछ और ही हैं. इंडियन आर्मी की एक यूनिट में तैनात 24 साल के एक जवान के मोबाइल फोन पर अब से कोई दस महीने पहले अचानक ही एक कॉल आती है. दूसरी तरफ से एक लड़की की आवाज़ सुनाई देती है-

 

लड़की- कौन संदीप बोल रहा है क्या?

प्रदीप- नहीं आप कौन?

लड़की- क्यों मजाक कर रहा है. तू संदीप ही है.

प्रदीप- सच में मैं संदीप नहीं हूं. आप कौन हो?

लड़की- मैं संदीप की दोस्त बोल रही हूं. आप संदीप नहीं हो तो मुझे अपना वॉट्सएप नम्बर बताओ. मैं अभी उस पर वीडियो कॉल करती हूं.

इस छोटी सी बातचीत के बाद आर्मी का वो जवान इस उलझन में पड़ा था कि आख़िर ये माजरा क्या है, तब तक उसके व्हाट्सएप नंबर पर वीडियो कॉल भी आ गई.

लड़की- यार आप वो नहीं हो. सॉरी, मैंने आपको डिस्टर्ब किया. मैंने सोचा आप झूठ बोल रहे हैं. इसलिए मैंने आपको कॉल किया.

प्रदीप– चलो, अब तो आपको तसल्ली हो गई कि मैं संदीप नहीं हूं. अब आप बताओ कि मेरा नम्बर आपको कहां से मिला?

लड़की- मैं भारतीय सेना में आर्मी मेडिकल कॉर्प्स यानी ए.एम.सी. विभाग मुंबई में लेफ्टिनेंट की पोस्ट पर हूं. मैं जब मुंबई में टेनिंग कर रही थी, तब मैंने ये नंबर मेरी दोस्त से लिया था. मेरी मुंबई में ए.एम.सी. की ट्रेनिंग की क्लास लगती थी. तब मैंने काम में मदद के लिये अपनी फ्रेंड से नंबर मांगे थे तो उसने मुझे आपका नंबर दिया था.

प्रदीप- ऐसे कैसे मेरा नंबर वहां शेयर हो गया? मैं तो वहां कभी गया ही नहीं?

लड़की- (इमोशनल होते हुए) यार.. देखो मैंने नौकरी हासिल करने के लिये कितना स्ट्रगल किया है. मेरे पापा-भाई नहीं हैं. एक मम्मी हैं और मैं हूं. मैंने कितनी मुश्किल से यह नौकरी पाई है और तुम मुझसे इतने सारे सवाल जवाब कर रहे हो.

दोस्ती के झांसे में आया जवान
इंडियन आर्मी के एक जवान से एक गुमनाम लड़की की 15 से 20 मिनट की ये पहली बातचीत आनेवाले चंद महीनों में इंडियन आर्मी को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ खुद उस जवान को भी सलाखों के पीछे पहुंचा देगी, तब फोन पर बातें करनेवाले उस जवान ने दूर-दूर तक ये नहीं सोचा था. लेकिन बातचीत का ये सिलसिला आगे बढ़ा और कुछ इतना बढ़ा कि जाने-अनजाने इंडियन आर्मी से जुड़ा प्रदीप अपनी आर्मी यूनिट से जुड़ी कई ख़ुफिया और संदवेदनशील जानकारियां अपनी इस नई-नवेली और चुलबुली दोस्त से साझा करता चला गया.

खुद को बताया था एएमसी ट्रेनी
असल में इस जवान से फोन पर बात करने वाली लड़की ने उसे जोर का झटका धीरे से देने की जमीन पहले ही तैयार कर ली थी. और इसकी शुरुआत उसने खुद को इंडियन आर्मी की एएमसी यूनिट से जुड़ा बताकर कर थी. उसने जवान प्रदीप से कहा कि वो अभी बेंगलुरू की एयरफोर्स यूनिट में एएमसी लेफ्टीनेंट के तौर पर तैनात है और अपना काम सीख रही है.

 

पाकिस्तानी सेना की जासूस निकली लड़की
लेकिन ना तो ये लड़की इंडियन आर्मी से जुड़ी थी और ना ही कोई काम सीख रही थी. बल्कि वो पाकिस्तान खुफ़िया एजेंसी (intelligence agency) और वहां की फौज की ओर से प्लांट की गई, हनीटैप की एक ऐसी शातिर खिलाड़ी थी, जिसका काम ही इंडियन आर्मी के जवानों को फांस कर उनसे खुफ़िया और संवेदनशील जानकारियां (intelligence and sensitive information) इकट्ठा करना था और अपने इस काम के पहले चरण में वो काफी हद तक कामयाब हो चुकी थी, क्योंकि वो आर्मी में गनर प्रदीप को अपनी झूठी बातों पर यकीन दिलाने के लिए काफी हद तक कामयाब हो चुकी थी.

कपड़े उतार कर रिझाती थी रिया
लड़की ने अपना नाम रिया बताया था और अब रिया और प्रदीप की दोस्ती हो चुकी थी. कम से कम प्रदीप को तो यही लग रहा था. अब दोनों में लंबी बातें भी होने लगी और वीडियो कॉल का सिलसिला भी चल पड़ा. रिया अक्सर आर्मी की वर्दी में किसी दफ्तर में बैठी नज़र आती और घंटों प्रदीप से बातें करती. धीरे-धीरे से बातचीत दोस्ती से प्यार मुहब्बत तक बढ़ गई और अब रिया कभी-कभी साज़िश के मुताबिक अपने कपड़े तक उतार कर प्रदीप को ज़्यादा से ज़्यादा रिझाने की कोशिश करने लगी और प्रदीप रिया की खूबसूरती और अदाओं की जाल में बुरी तरह फंस चुका था.

 

ड्रिल की जानकारी देता रहा प्रदीप
प्रदीप इसी साल 14 और 15 जनवरी को जैसलमेर के लाठी गांव में अपनी यूनिट के साथ सालाना युद्धाभ्यास के लिए पहुंचा था. और वहां से करीब हफ्ते भर बाद वापस लौट आया. लेकिन इस दौरान भी उसकी हर शाम रिया से बातें होती रही. वो रिया के कहे मुताबिक उसे वहां चल रही ड्रिल की जानकारी देता रहा और तमाम गतिविधियों की एक-एक तस्वीर भेजता रहा.

जानकारी लेने के लिए रिया ने बनाया था बहाना
असल में रिया ने उससे ये जानकारियां जुटाने के लिए एक कहानी गढ़ी थी. उसने प्रदीप से कहा था कि उसकी अपने यूनिट में काम करनेवाली एक लड़की से लड़ाई हो गई, जिसके बाद सजा के तौर पर उसे वहां क्लर्क का काम सौंप दिया गया है. चूंकि उसे ये काम नहीं आता है, तो उसे मदद की दरकार है और फिर मदद के नाम पर वो प्रदीप से अपनी यूनिट से जुड़ी जानकारी और तस्वीरें मांगने लगी. इधर, उसकी बातों पर यकीन कर प्रदीप उसे अपनी तैनाती वाली जगह की हरेक जानकारी मुहैया करवाने लगा.

रिया को भेजी डॉक्यूमेंट्स की तस्वीरें
प्रदीप के जोधपुर लौट आने के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा और आईएसआई की जासूस रिया ने उससे कहा कि उसकी यूनिट में क्लर्क के पास जो डॉक्यूमेंट्स होते हैं, उसे अपने काम के लिए उन डॉक्यूमेंट्स की तस्वीरें चाहिए. इस पर प्रदीप ने उसे चुपके से दो हिस्सों में कई पन्नों की तस्वीरें खींच कर भेजी. फिर नज़र बचा कर वहां की मिसाइल यूनिट की बैट्री रूम में रखे डॉक्यूमेंट्स की तस्वीरें भी निकाल कर रिया को भेज दी. उसने वहां के कंप्यूटर के कई स्क्रीनशॉट लेकर भी आगे बढ़ा दिए. जिनमें क्षमता, लोकेशन समेत कई खुफिया और संवेदनशील जानकारियां थीं.

प्रदीप से मांगा था व्हाट्सएप OTP
इस दौरान रिया लगातार प्रदीप को प्यार मुहब्बत की कहानियां सुनाती रही. उससे व्हाट्स पर मीठी-मीठी बातें करती रहीं. मगर इस कहानी का अभी अंत नहीं हुआ था, बल्कि अपने जाल में फंस चुके आर्मी मैन प्रदीप से अभी पाकिस्तानी जासूस को और कई जानकारियां निकालनी थीं. अब रिया ने एक और चारा फेंका. उसने मार्च 2022 के आखिरी हफ्ते में प्रदीप से कहा कि अब उसका फोन यूनिट वालों ने जमा कर लिया है, अगर उसके पास कोई फोन है, तो प्रदीप उस नंबर की व्हाट्सएप ओटीपी उसे दे दे तो फिर वो उसी नंबर से प्रदीप से बात किया करेगी. प्रदीप ने उसे अपनी पुराने सिम का नंबर शेयर किया और ओटीपी भी दे दी.

21 मई को प्रदीप हुआ था गिरफ्तार
प्रदीप को तब पहली बार ज़ोर का झटका लगा, जब रिया ने उसे एक रोज़ दिल्ली मिलने के लिए बुलाया. जिस पर प्रदीप तो दिल्ली में उसकी बताई जगह पर पहुंच गया, लेकिन रिया नहीं मिली. ऊपर से उसका फोन भी स्विच्ड ऑफ हो चुका था. असल में प्रदीप के लिए ये झटके की शुरुआत भर थी. वो मार्च के महीने से ही राजस्थान पुलिस की सुरक्षा शाखा की रडार पर आ चुका था. पुलिस उसका फोन सर्विलांस पर लगा चुकी थी और आखिरकार 21 मई को उसे जयपुर में पूछताछ के लिए बुलाया गया और फिर गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन सच्चाई यही है कि तब तक प्रदीप जाने-अनजाने इंडियन आर्मी को धक्का पहुंचा चुका था. उसने सेना के ऑफिशियल फॉर्मेट, उससे जुड़े चिह्न, मिसाइल यूनिट की गोपनीय जानकारी समेत तमाम चीजें पाकिस्तानी जासूस के हवाले कर दी थी.

आईएसआई और पाक सेना का हनीट्रैप गेम
जोधपुर के आर्मी कैंट में तैनात जवान प्रदीप का हनीट्रैप (honeytrap) पाकिस्तान की ओर से जारी हनीट्रैप के इस खेल की एक बानगी भर है. असल में वहां की खुफ़िया एजेंसी आईएसआई और पाकिस्तान की मिलिटी इंटेलिजेंस बेहद संगठित तरीके से ये सारा खेल, खेल रही है और खूबसूरत लड़कियों को जासूस के तौर पर हायर कर उन्हें भारतीय जवानों और अफसरों को फंसाने का काम सौंपती है और इस काम के लिए उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है.

हनीट्रैप रैकेट के 7 मॉड्यूल
पाकिस्तान के इस नापाक जाल बट्टे से जुड़े एक-एक राज का खुलासा हो चुका है. जो किसी की भी आंखें खोल देने के लिए काफी हैं. ये वो खुलासे हैं, जो भारतीय एजेंसियों की जांच में निकल कर सामने आए हैं. खुफिया सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान ने इस काम के लिए बाकायदा सात मॉड्यूल तैयार कर रखे हैं, जिसमें 25 से ज़्यादा लड़कियां अलग-अलग रोल में अलग-अलग टाइम पर हिंदुस्तानी जवानों और अफसरों को टार्गेट कर रही हैं.

खूबसूरत लड़कियों और सेक्स वर्कर्स का इस्तेमाल
अब सिलसिलेवार तरीके से आपको पाकिस्तानी फ़ौज और वहां की खुफिया एजेंसी के हनीट्रैप रैकेट का एक-एक सच बताते हैं. आईएसआई और पाकिस्तान की मिलिट्री इंटेलिजेंस कराची, लाहौर और हैदराबाद जैसे शहरों में खूबसूरत लड़कियों और सेक्स वर्कर्स को इस काम के लिए तैयार करती है. इन लड़कियों के सेलेक्शन का सबसे पहला पैमाना उनकी खूबसूरती ही होती है. कई बार इस काम के लिए कॉलेज गर्ल्स को भी अलग-अलग किस्म का लालच देकर तैयार कर लिया जाता है. इन लड़कियों को ट्रेनिंग के बाद इंडियन फोर्सेज़ के जवानों और अफसरों से बातचीत करने के लिए तैयार किया जाता है.

मिलिट्री इंटेलिजेंस के अफसर करते हैं निगरानी
ट्रेनिंग के दौरान उन्हें इंडियन फोर्सेज के बारे में जानकारी दी जाती है. अफ़सरों के रैंक, यूनिट के बारे में जानकारी और उनकी लोकेशन के बारे में बताया जाता है. हनीट्रैप के इस पूरे खेल के दौरान मिलिट्री इंटेलिजेंस (military intelligence) के अफसर भी उन्हें मॉनिटर करते रहते हैं. यानी इन लड़कियों का रोल एक कठपुतली से ज़्यादा कुछ नहीं होता. जिन्हें बाद में या तो हटा दिया जाता है या फिर नया काम सौंपा जाता है.

लड़कियों को हनीट्रेप के लिए विशेष ट्रेनिंग
पाकिस्तानी हनीट्रैप की इस साज़िश के निशाने पर इंडियन आर्मी के साथ-साथ एयरफोर्स, नेवी, डीआरडीओ, रेलवे और बीएसएफ से जुडे जवान और अफसर शामिल होते हैं. इस पूरे मिशन में इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है कि लड़कियों को अपने टार्गेट के सामने ऐसे पेश किया जाए, जिससे टार्गेट को दूर-दूर तक उन पर शक ना हो और उनकी असलियत पता ना चले. इसके लिए ट्रेनिंग के बाद लड़की आर्मी कैंट या वहां के किसी कॉलेज में एक कमरा दे दिया जाता है. जिसे वो लड़की अपने कमरे के तौर पर टार्गेट को दिखाती है. कमरे की दीवारों पर भगवान की तस्वीरें, पूजा पाठ की सामग्री रखी होती है. यहां तक कि इस दौरान लड़कियों को सिर्फ और सिर्फ इंडियन ड्रेस पहनने की ही इजाजत होती है और वीडियो कॉल में ये चीजें देखकर इंडियन आर्मी से जुड़े जवानों और अफसरों को इन लड़कियों के हिंदू होने का पूरा यकीन हो जाता है. असल में ऐसा करने के पीछे फ़ोकस उन लड़कियों को हिंदुस्तानी साबित करना होता है.

हनीट्रैप के खेल की मॉडस ऑपरेंडी
अब बात मॉडस ऑपरेंडी यानी अफसरों और जवानों को फंसाने के तौर तरीके की. तो इसकी शुरुआत होती है दोस्ती से. पाकिस्तानी हनीट्रैप रैकेट में शामिल ये लड़कियां पहले सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी बना कर जवानों और अफसरों की तलाश करती हैं और फिर उन्हें फेंड रिक्वेस्ट भेजती हैं. प्लानिंग के मुताबिक रिक्वेस्ट एक्सेप्ट होते ही बातचीत, दोस्ती, प्यार मुहब्बत का सिलसिला शुरू हो जाता है. यहां तक कि इस दौरान जवानों और अफसरों से शादी का वादा तक किया जाता है. भरोसा जमाने और उसे बनाए रखने के लिए ऐसी लड़कियां जरूरत के मुताबिक बगैर कमरों के भी वीडियो चैट शुरू कर देती हैं और इस तरह के न्यूड टॉक के दौरान तमाम तरह की कहानियों के साथ जाल में फंस चुके जवान या अफसर से गोपनीय जानकारियां जुटा ली जाती हैं.

अगर कहीं कोई शिकार जानकारी या तस्वीरें देने से इनकार कर दें, तो फिर ये जासूस उन्हें ब्लैकमेल करने लगती हैं. इसके लिए ये लड़कियां पहले अपने टार्गेट से व्हाट्सएप की ओटीपी हासिल कर लेती हैं और फिर उसी नंबर से चैट करती हैं, ताकि किसी को भी नंबर भारत के एसटीडी कोड +91 से शुरू हो और चैट करनेवाली लड़की भी भारत की ही लगे. पाकिस्तान में इस काम के लिए जो सात मॉड्यूल एक्टिव हैं, उनमें-

01. पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई
02. आर्मी इंटेलिजेंस लाहौर
03. पाकिस्तान मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट 412
04. आईएसआई कराची
05. मालिर कैंट यूनिट
06. पाकिसतान एयरफोर्स 552 मॉड्यूल
और..
07. चकलाला कैंट रावलपिंडी

शामिल हैं. फिलहाल हनीट्रैप के इस लगातार बढ़ते खतरे को देखते हुए अब इंडियन आर्मी समेत हमारे देश की तमाम संवेदनशील इकाइयों ने इसके लिए जवानों और अफसरों को अलग से जागरूक करना शुरू कर दिया है. ताकि वे सरहद पार बैठी उन बालाओं के जाल में फंसकर देश की महत्वपूर्ण जानकारी साझा ना कर बैठें.