सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर (Twitter) ने खुलासा किया है कि दुनियाभर की सरकारें उससे यूजर खातों (accounts) से सामग्री हटाने या उनके निजी विवरणों (personal details) की जासूसी के लिए कह रही हैं। कंपनी ने कहा, उसने गत 6 वर्ष, 6 माह की अवधि में स्थानीय, राज्य व राष्ट्रीय सरकारों की 60,000 मांगों पर कार्रवाई की है।
कंपनी ने एक नई रिपोर्ट में खुलासा किया, ये सरकारें चाहती थीं कि ट्विटर से या तो सामग्री हटाई जाए अथवा कंपनी यूजर की गोपनीय जानकारी का खुलासा करे। ट्विटर की सुरक्षा व अखंडता मामलों के प्रमुख योएल रोथ ने कहा, हम देख रहे हैं कि सरकारें हमारी सेवा का उपयोग करने वालों को बेनकाब करने के लिए कानूनी रणनीति का उपयोग करने, अकाउंट के मालिकों के बारे में जानकारी एकत्र करने और लोगों को चुप कराने के तरीके के रूप में अधिक आक्रामक हो जाती हैं। फेसबुक व इंस्टाग्राम की मालिक मेटा ने भी इसी समय सीमा के दौरान सरकार द्वारा निजी यूजर डाटा की मांग में वृद्धि की सूचना दी।
अमेरिका से सर्वाधिक अनुरोध, भारत काफी पीछे
ट्विटर द्वारा जारी नई रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका से सर्वाधिक 20 प्रतिशत अनुरोध आए, जबकि भारत इस मामले में काफी पीछे है। ट्विटर का कहना है कि उसने मांगी गई सूचना के हिसाब से लगभग 40 प्रतिशत यूजर के अकाउंट की जानकारी साझा की। जापान की ओर से अकाउंट की जानकारी पाने व सामग्री हटाने का कई बार अनुरोध किया गया। उसने सभी अनुरोधों के आधे 23,000 से अधिक आग्रह किए। रूस भी इसमें पीछे नहीं रहा।
पत्रकारों, मीडिया को भी निशाना बनाकर अनुरोध
ट्विटर ने 2021 की अंतिम छमाही के दौरान सत्यापित पत्रकारों और मीडिया आउटलेट्स को निशाना बनाकर सरकारों के अनुरोधों में भारी वृद्धि की भी सूचना दी। पिछले साल जुलाई व दिसंबर के बीच दुनियाभर में सरकारों ने 349 अकाउंट के खिलाफ कानून का सहारा लिया, जो 103 प्रतिशत अधिक है। इस संबंध में ट्विटर ने देशों के नामों का जिक्र नहीं किया।
आलोचकों को चुप कराने की कोशिशें
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट के कार्यकारी निदेशक रॉब महोनी ने एक बयान में कहा कि सरकार आलोचकों और पत्रकारों को चुप कराने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों का इस्तेमाल कर रही है।