पहले कभी मानसिक संतुलन बिगड़ने की वजह से सरहद पार कर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान पहुंच गए थे रामचंद्र। साल था 2004…यह वही साल था जब रामचंद्र का दिमागी संतुलन बिगड़ने लगा। एकाएक इनके रवैये में पता नहीं कैसा बदलाव आ गया। यह अजीबोगरीब हरकत करने लगे। कभी कहीं चले जाते तो कभी कहीं। इन्हें किसी बात का कोई सूध ही नहीं रहता। इनकी लगातार हो रही ऐसी हालत से परिजन भी काफी परेशान रहने लगे। बहुत दिखाया-सुनाया लेकिन कोई बदलाव नहीं आया। फिर एक दिन अचानक से पता नहीं कहां चले। बहुत खोजबीन की, मगर इनका कोई पता ही नहीं चला। पुलिस थाना हो या सरकारी अधिकारी का दफ्तर। हर जगह पहुंचे मगर सारी कोशिश नाकाम रही।
मगर, अब इतने सालों के बाद रामचंद्र का पता चल गया है।मालूम पड़ा है कि वह सरहद पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे। आज वो 16 साल के बाद अपने वतन लौट रहे हैं। अपने स्वजनों से मुखातिब होने जा रहे हैं। बीते 19 अगस्त को ही पाकिस्तानी रेंजर्स ने रामचंद्र को भारतीय बीएसएफ की 89 बटालियन सेक्टर गुरदासपुर (पंजाब) को सौंपा। इसके बाद बीएसएफ ने काशीचक थानाध्यक्ष राजकुमार से संपर्क साधा। इसके बाद रामचंद्र के परिजनों से जानकारी ली और फिर इनकी पहचान काशीचक स्थित भवानी बिगहा गांव के निवासी के रूप में हुई।
गांव में खुशी की लहर
वहीं, रामचंद्र के वापस आने के मौके पर गांव में खुशी की लहर है। उनकी वापसी पर लोग मगन में है। उनके बच्चे जो पहले छोटे थे। वे अब बड़े हो चुके हैं। आजे वे उन्हें लेने के लिए जा रहे हैं। उनके चेहरे पर खुशी का भाव दिख रहा है। उनका कहना है कि आज से 16 साल पहले जब रामचंद्र चले गए थे, तब पूरा परिवार टूट चुका है। किसी को कुछ पता नहीं था कि वो कहां गए। बहुत खोजबीन की, लेकिन सबकुछ निष्फल साबित हुआ। 2004 में जब रामचंद्र अपने घर से गायब हुए थे तब उनके परिवार में चाचा इंद्रदेव यादव और नाना देवशरण यादव ने रामचंद्र यादव की पत्नी और बच्चों की देखभाल की।
पत्नी लगाती रही सिंदूर
रामचंद्र को घर छोड़कर गए तो वैसे तो 16 साल हो गए थे, लेकिन उनकी पत्नी का विश्वास अटूट था। उन्हें पूरा विश्वास था कि एक दिन उनके पति जरूर आएंगे। वे अपने मांग में सिंदूर लगाती रही और आज जब उनके पति आ रहे हैं तो वे खुशी के फूले नहीं समा रही हैं। उनका कहना है कि सिंदूर की ताकत उन्हें वापस ला रही है।