हिमाचल के मंडी जिले में चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिछले आठ दिनों से फंसे वाहन चालकों के लिए राहत की खबर है। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे को वाहनों की आवाजाही के लिए बहाल कर दिया गया है। फ़िलहाल वन वे ट्रैफिक को ही बहाल किया गया है। आठ जुलाई की शाम 6ः30 बजे हाईवे 6 मील के पास लैंडस्लाइड की वजह से बंद हो गया था। वहीं, वैकल्पिक मार्ग कमांद-कटौला भी कमांद के घोड़ा फॉर्म के नजदीक लैंडस्लाइड के चलते तीन दिन बंद रहा, जिसे वाहनों की आवाजाही के लिए वन वे खोल दिया गया है।
चंडीगढ़-मनाली राजमार्ग बहाल होने से मंडी से सुंदरनगर के बीच फंसे सैंकड़ों वाहन चालकों ने राहत की सांस ली है। बारी-बारी से ही वाहनों को गुजारा जा रहा है। नेशनल हाईवे को बहाल करने के लिए मंगलवार से एनएचएआई, फोरलेन निर्माण कार्य में लगी कंपनी व ठेकेदारों की कड़ी मेहनत रंग लाई है। इस नेशनल हाईवे को बहाल करने के लिए रोजाना 16 घंटे लगातार मशीनरी जुटी रही। चार दिन लगातार 16 घंटे लगातार चट्टान व मलबा हटाने के बाद शनिवार को इस नेशनल हाईवे को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सागर चंद्र ने बताया कि भारी बारिश के कारण नेशनल हाईवे जगह-जगह लैंडस्लाइड होने के कारण बंद हो गया था। सबसे बड़ा लैंडस्लाइड 7 मील के पास हुआ था जिसे कड़ी मशक्कत के बाद वन वे ट्रैफिक के लिए बहाल कर दिया गया है। दो तरफा ट्रैफिक बहाल करने के लिए एक हफ्ता लग सकता है। नेशनल हाईवे के बहाल होने से कुल्लू तक वाहन चालक सफर कर सकते हैं। मंडी में 400 के करीब वाहन फंसे हैं, जिन्हें कुल्लू की तरफ रवाना किया जा रहा है। वहीं कुल्लू में फंसे 100 के करीब वाहनों को भी निकाला जा रहा है।
स्पीति घाटी के खुलासका गांव के साथ लगते नाले में अचानक जलस्तर बढ़ जाने के कारण सात घरों को भारी नुकसान पहुंचा है। एडीसी राहुल जैन ने मौके का दौरा करके सभी घरों के 43 सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाला। इसके बाद सभी को पंचायत घर में शिफ्ट किया गया। उन्होंने कहा कि इस आपदा के कारण गांव में काफी नुकसान हुआ है। लोगों के खेत पूरी तरह मलबे से भर चुके है। एडीसी राहुल जैन ने बताया कि इस आपदा की वजह से काजा लोसर बाधित हुआ था, लेकिन अब रास्ता बहाल कर दिया गया है। इसके साथ ही प्रभावितों के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।