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सहयोगी दलों ने विधानसभा में बढ़ाई समाजवादी पार्टी की ताकत, छोटे दलों के साथ गठबंधन का प्रयोग रहा सफल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव  में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) छोटे दलों के साथ गठबंधन करने के प्रयोग में सफल रही है. हालांकि चुनाव में उसके दो दलों को सफलता मिली है. लेकिन एसपी के ये प्रयोग कई मामलों में लग रहा. क्योंकि एसपी ने कांग्रेस या अन्य बड़े दलों के साथ गठबंधन नहीं किया और पिछले चुनाव की तुलना में वह ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करने में भी सफल रही. असल में एसपी कांग्रेस और बीएसपी के का साथ गठबंधन कर चुकी है और पिछले पांच साल में ये गठबंधन उसके लिए शुभ साबित नहीं हुए हैं.

असल में एसपी ने राज्य में करीब एक दर्जन से ज्यादा छोटे दलों के साथ करार किया था. लेकिन सफलता केवल रालोद और सुभासपा को ही मिली. राज्य के शामली जिले में एसपी और आरएलडी गठबंधन ने तीनों सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं मुजफ्फरनगर के जाट बहुल इलाके में इस गठबंधन ने छह में से चार सीटों पर जीत दर्ज की है. इसी तरह से मेरठ में भी गठबंधन ने सात में से चार सीटों पर जीत दर्ज की है. लिहाजा पश्चिम क्षेत्र में दोनों ही दलों का गठबंधन फायदे में रहा.

सुभासपा को मिली छह सीटें

राज्य के पूर्वांचल के लिए एसपी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा के साथगठबंधन किया था. ये गठबंधन एसपी के लिए काफी फायदेमंद रहा. क्योंकि एसपी ने इस बार आजमगढ़ की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि 2012 में वह नौ सीटें ही जीत पाई थी. जबकि 2017 में एसपी ने महज पांच सीटों पर ही जीत हासिल की थी. इसके साथ ही मऊ में इस बार एसपी-एसबीएसपी गठबंधन ने चार में से तीन सीटों पर जीत दर्ज की है. इस बार सुभासपा की सीटों में दो का इजाफा हुआ था. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन में सुभासपा ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी.

231 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही एसपी

राज्य में मुख्य मुकाबला एसपी और बीजेपी के बीच था और इस बार चुनाव में एसपी ने कुल 347 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और उसने 111 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि उसके सहयोगी दलों ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की है. राज्य में इस बार के चुनाव में एसपी 231 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही.