समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party)के गढ़ में सेंध लगाने (to break into)की भाजपा(B J P) की कोशिश स्थानीय प्रत्याशी (candidate)पर आकर टिकी। पार्टी की मंशा अपने धुर वोटरों के सहारे, विकास और सुरक्षा के मुद्दे को भुनाकर और परिवारवाद पर प्रहार करते हुए टक्कर देने की है। हालांकि ये रणनीति कितनी कारगर साबित होगी, इसके लिए लंबा इंतजार करना होगा। पिछले कुछ चुनावों को देखें तो भाजपा बराबर सपा को तगड़ी चोट देने के प्रयास में है।
साल 2019 के आम लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बसपा के साथ गठजोड़ किया था। मैनपुरी से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भाजपा ने प्रेम सिंह शाक्य को उतारा। मुकाबला इतना कड़ा हो गया कि भाजपा प्रत्याशी को 4.30 लाख वोट मिले। मुलायम जीते तो पर अंतर 94 हजार वोटों पर ठहर गया था। हां, मुलायम के निधन के बाद खाली हुई सीट पर वर्ष 2022 के उपचुनाव में सहानुभूति लहर ने कहानी उलटी कर दी थी। एक बार फिर शाक्य प्रत्याशी (रघुराज सिंह शाक्य) के सहारे टक्कर की आस लगाए भाजपा को मुलायम की बहू डिंपल यादव ने करीब 3 लाख वोटों को बड़े अंतर से हराया। भाजपा को इस जोर आजमाइश का फायदा विधानसभा चुनावों में जरूर मिला। 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मैनपुरी की दो विधानसभाओं (भोगांव और सदर) पर कब्जा जमाया।
इस बार सपा ने डिंपल को चुनाव से करीब दो महीने पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया था। तब से वो जनता के बीच में जा रही हैं। भाजपा सरकार की नीतियों पर प्रहार भी कर रही हैं। ऐसे में भाजपा के सामने तगड़ा प्रत्याशी खड़ा करने की चुनौती थी। मंथन इतना गहरा गया कि पार्टी नामांकन शुरू होने से दो दिन पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर पाई। भाजपा के स्थानीय नेता और कैबिनेट मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह पार्टी के पक्के वोटरों और अपने मुद्दों को लेकर सपा से डिंपल को टक्कर देने की कोशिश करेंगे।
जातीय गुणा-गणित
मैनपुरी लोकसभा सीट पर कुल करीब 17 लाख मतदाताओं में से सर्वाधिक 3.75 लाख वोटर यादव हैं। शाक्य मतदाता 2.40 लाख, ठाकुर मतदाता 2.30 लाख, अनुसूचित जाति वोटर 2.70 लाख हैं। इसके अलावा ब्राह्मण मतदाता 1.6 लाख और लोधी राजपूत वोटर भी इतने ही हैं। करहल और जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र सपा के धुर वोटर यादव बाहुल्य हैं तो अन्य तीन विधानसभा किशनी, सदर और भोगांव में इनकी संख्या काफी कम है। भाजपा की नजर मुख्य रूप से इन्हीं तीन विधानसभाओं के वोटरों पर है।
ये होंगे मुद्दे
जबसे भाजपा ने परिवारवाद पर निशाना साधना शुरू किया है, इसने सपा के धुर वोटरों में भी हल्की सेंध लगाई है। वहीं निचले तबके के वोटर के लिए सुरक्षा का मुद्दा प्रमुख है। इसके अलावा केंद्रीय योजनाओं पीएम आवास, मुफ्त राशन वितरण, उज्ज्वला योजना ने भी अन्य वोटरों को नया आधार दिया है।
राजनीति में जयवीर
ठाकुर जयवीर सिंह ने जमीनी स्तर से राजनीति में पकड़ बनाई। तीन बार जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे। वहीं सपा और बसपा सरकार में एक-एक बार राज्यमंत्री बने। इसके बाद मैनपुरी सदर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर उन्होंने सपा के गढ़ में सेंध लगाई। इसका इनाम भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में मिला।